आपने और हम सभी ने अक्सर लोगों को ऐसा कहते हुए सुना है कि लकीरों में मनुष्य का भाग्य कैद होता है। भले ही वह लकीरें हाथ की हो या माथे की। इन सभी लकीरों का अपना अलग-अलग महत्व होता है। आज हम आपको माथे की लकीरों के बारे में बताने वाले हैं।
बता दें कि माथे पर पडऩे वाली सभी लकीरों का अलग-अलग महत्व होता है। माथे पर बनने वाली सभी लकीरों का इंसान के भाग्य से जुड़ा हआ होता है। ऐसे में यह जानना बहुत जरूरी है कि माथे पर बनने वाली लकीरों का आखिर क्या मतबल होता है। तो आइए जानते हैं माथे पर बनने वाली इन लकीरों के बारे में कुछ रहस्य…
1.पहली लकीर
माथे की पहली लकीर जो भौंह के बहुत पास होती है उसे धन की लकीर कहा जाता है। बताया जाता है कि यह लकीर जितनी साफ और स्पष्ट होती है यह व्यक्ति की अच्छी आर्थिक दशा को दर्शाती है। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक इस लकीर का टूटा होना या फिर छोटा होना आर्थिक स्थिति में उतार-चढ़ाव की ओर इशारा होता है।
2. दूसरी लकीर
भौंह के पास की लकीर के बाद जो लकरी होती है उसे दूसरी लकीर कहा जाता है। माना जाता है कि यह लकीर स्वास्थ्य की लकीर होती है। ज्योतिषशास्त्र की मानें तो ये लकीर गाढ़ी और साफ होने से इंसान एक दम ठीक रहता है,जबकि पतली और हल्की होने से इंसान बीमार रहता है। वहीं इस लकीर का टूटा या ऊपर-नीचे होना लंबे समय तक बीमार होने की ओर इशारा होता है।
3.तीसरी लकीर
माथे पर बनने वाली तीसरी लकीर भाग्य की होती है। यह लकीर काफी कम लोगों के माथे पर बनती है। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक मनुष्य के माथे पर ऐसी लकीर होना भाग्यवान को दर्शाता है।
4.चौथी लकीर
बहुत कम लोगों के माथे पर यह लकीर बनती है। लेकिन जिन भी लोगों के माथे पर होती है उन लोगों को अपने जीवन में काफी उतार-चढ़ाव देखने को भी मिलते हैं। वैसे यह लोग 40 साल के बाद ही खूब सफलता हासिल कर पाते हैं और एक से ज्यादा संपत्ति बना लेते हैं।
5.पांचवीं लकीर
ऐसा कहा जाता है कि माथे पर पांचवीं लकीर का होना ढेर सारी लकीरों का होना दिखाता है इतना ही नहीं माथे पर होने वाली ये लकीरें व्यक्ति को परेशान करके भी रखती है। माना जाता है ऐसे लोग किसी न किसी वजह से हमेशा चिंतित जरूर रहते हैं। ये लोग त्याग और वैराग्य की ओर चले जाते हैं।
6.छठी लकीर
नाकी की बिल्कुल सीध में ऊपर जाने वाली सीधी लकरी छठी लकीर होती है। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक ऐसी लकीर वाले लोग आश्चर्यजनक रूप से उन्नति कर जाते हैं क्योंकि इनके ऊपर दैवीय कृपा सदैव बनी रहती है।