इस अदभुत मंदिर के दरवाजे खोले जाते हैं साल में सिर्फ एक बार 24 घंटे के लिए - Punjab Kesari
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इस अदभुत मंदिर के दरवाजे खोले जाते हैं साल में सिर्फ एक बार 24 घंटे के लिए

भारत में कई ऐसे अनोखे और अदभुत मंदिर है जिनकी अलग-अलग मान्यता हैं। ऐसा ही उज्जैन का एक

भारत में कई ऐसे अनोखे और अदभुत मंदिर है जिनकी अलग-अलग मान्यता हैं। ऐसा ही उज्जैन का एक मंदिर है जिसके द्वार सिर्फ नाग पंचमी के दिन खुलते हैं यानी साल में सिर्फ एक बार ही खुलते हैं। इस मंदिर का नाम नागचंद्रेश्वर है और इसकी मान्यता है कि इस मंदिर में नागदेव खुद मौजूद रहते हैं।

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पूरी दुनिया में यह मंदिर ऐसा एक है जिसमें विष्णु भगवान की जगह भगवान भोलेनाथ सर्प शैया पर विराजमान होते हैं। भगवान भोलेनाथ के साथ इस मंदिर में गणेशजी और माता पार्वती जी भी विराजमान है। ऐसी प्रतिमा आपको उज्जैन के अलावा कहीं और नहीं देखने को मिलेगी।

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इस अनोखे मंदिर के दरवाजे नागपंचमी के दिन आधी रात 12.00 बजे को खुलते हैं औैर परंपरा के मुताबिक पंचायती महानिर्वाणी अखाड़े के महंत भगवान नागचंद्रेश्वर महादेव को ही पहले पूजा जाता है। उसके बाद मंदिर की साफ सफाई और पूजा की जाती है उसके बाद श्रद्धालुओं के लिए मंदिर के दरवाजे खुल जाते हैं। इसके बाद मंदिर में दूसरे दिन नागपंचमी वाली रात 12 बजे आरती की जाती है और फिर इस मंदिर के दरवाजे एक साल के लिए बंर हो जाते हैं।

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ये मंदिर तीन खंड़ में स्थापित है

उज्जैन के इस महाकाल मंदिर को सरकार ने संचालित किया हुआ है। यह महाकाल मंदिर देश के बारह ज्योर्तिलिंगों में आता है। तीन खंडो में यह मंदिर बना हुआ है। इस मंदिर के सबसे नीचे खंड में भगवान महाकलेश्वर हैं, दूसरे खंड में ओंकारेश्वर हैं वहीं तीसरे खंड में दुर्लभ भगवान नागचंद्रेचवर मंदिर है। उज्जैन का यह मंदिर बहुत ही पुराना है। ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर को 1050 ईसवीं में परमार राजा भोज ने बनवाया था।

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इस मंदिर के दरवाजे बंद रहने के पीछे क्या है रहस्य

इस मंदिर के दरवाजे बंद केबारे में कहा जाता है कि नागराज तक्षक ने भगवान शिव को मनाने केलिए बहुत घोर तपस्या की थी। नागराज तक्षक की तपस्या से खुश होकर भगवान शिव ने उन्हें अमर रहने का वरदान दे दिया था। इस मंदिर की यह मान्यता है कि वरदान मिलने के बाद भोलेनाथ की शरण में तक्षक राजा रहने लगे थे।

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महाकाल वन में रहने से पहले उनकी यह इच्छा थी कि उनके एकांत में कोई भी विघ्न ना डाले और उसके बाद से यह प्रथा चलती आ रही है और सिर्फ नागपंचमी वाले दिन वह दर्शन देते हैं। परंपरा के अनुसार बाकी के समय में उनके सम्मान में मंदिर के द्वार बंद रहते हैं।

यहां की मान्यता कुछ इस तरह की है

इस मंदिर की मान्यता है कि नाग पंचमी वाले दिन नागराज तक्षक के ऊपर शिव-पार्वती विराजित होते हैं जिनके दर्शन करने से कालसर्प दोष शांत हो जाता है। इसी मान्यता की वजह से नागपंचमी वाले दिन हर साल लाखों लोग देश-विदेश से इस नागचंद्रेश्वर मंदिर में आते हैं और भगवान के दर्शन करते हैं और देर रात से दर्शन करने के लिए लंबी लाइनों में लग जाते हैं। इस मंदिर में नागपंचमी वाले दिन लगभग दो लाख से भी ज्यादा भक्त दर्शन करते हैं।

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