मैटरनिटी लीव से लौटी मह‍िला को कंपनी ने ज्वाइन करने से कर दिया इंकार, फिर जो हुआ उसे सुन हैरान हो जायेंगे आप! - Punjab Kesari
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मैटरनिटी लीव से लौटी मह‍िला को कंपनी ने ज्वाइन करने से कर दिया इंकार, फिर जो हुआ उसे सुन हैरान हो जायेंगे आप!

मैटरनिटी लीव हर महिला का अध‍िकार होता है लेकिन उसके इसी अधिकार से खिलवाड़ करते हुए अमेरिका के

एक प्रेग्‍नेंट मह‍िला को पूरी दुनिया में मैटरनिटी लीव दी जाती है। और भला ऐसा क्यों ना हो माँ बनना किसी भी औरत के लिए किसी दूसरे जन्म से कम नहीं ऐसे में उसे इतने नाज़ुक दिनों के लिए छुट्टी देना ज़रूरी हैं और लेना उसका हक़। भारत में 6 महीने तो कई देशों में तो यह साल भर तक है। लेकिन अमेरिका में इस बात से जुड़ा एक अजीबोगरीब वाकया सामने आया। 
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एक मह‍िला मैटरनिटी लीव पर गई एक महिला जब वापिस अपने काम पर लौट कर आयी तो उसे रखने से इंकार कर दिया गया। पहले तो जब वह और जा रही थी तब उसे कंपनी ने कुछ नहीं बताया, लेकिन जैसे ही वह लौटी और नौकरी ज्‍वाइन करना चाहा तो पता चला कि एक महीने पहले ही कंपनी ने उसे निकाल दिया है। मह‍िला ने इसे गैरकानूनी बताते हुए कोर्ट की शरण ली। और अंत में उसकी जीत हुई जिसके चलते आख‍िरकार कंपनी को 94 लाख रुपये मुआवजा देना पड़ा।
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मामला अमेरिका के न्‍यू जर्सी का है, एनल्स नाम की मह‍िला ने वाशिंगटन पोस्ट को बताया, मुझे बताया गया कि एक महीने पहले ही आपकी नौकरी समाप्त कर दी गई है। मेरे ऊपर एक नवजात शिशु और दो बड़े बच्चों की देखभाल की जिम्‍मेदारी है, और कंपनी ने मुझे बेरोजगार छोड़ दिया। न्‍यू जर्सी के कानून के मुताबिक, एनल्‍स को 6 हफ्ते तक पेड लीव मिलनी थी, लेकिन जब वह लौटीं तो मैनेजर ने कहा कि अब उनकी जरूरत इस कंपनी को नहीं है।
अध‍िकारों का उल्‍लंघन नहीं हैं बर्दाश्त
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एनल्‍स ने कहा, मैं पहले से ही आपातकालीन सर्जरी की वजह से तनाव में थी. कुछ और वक्‍त चाह‍िए था रिकवर होने के लिए, लेकिन फ‍िर भी कानून के मुताबिक, मैं सही समय पर ऑफ‍िस ज्‍वाइन करने पहुंच गई. इसके बावजूद जब उल्‍टा जवाब मिला तो मैंने कानून का सहारा लिया और श्रम विभाग में शिकायत दर्ज कराई. अदालत ने कहा, यह उनके अध‍िकार का उल्‍लंघन है. इसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता. अदालत ने कंपनी को मुआवजे के रूप में 66,000 डॉलर और कानूनी खर्च के रूप में 47500 डॉलर यानी कुल मिलाकर 113,500 डॉलर देने का आदेश दिया। 
भारत के कानून में आखिर क्‍या हैं खास?
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भारत में मैटरनिटी कानून में बीते साल बदलाव किया गया था। मातृत्व अवकाश की अवधि को 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह कर दिया है, हालांकि जिन महिलाओं के पहले से ही दो बच्चे हैं उस महिला को 12 सप्ताह का अवकाश ही मिलता है। कानून में यह साफ साफ लिखा है कि अगर कोई कंपनी आपको यह अध‍िकार नहीं देती तो आप उस पर मुकदमा भी दर्ज करा सकती हैं। इतना ही नहीं, प्रसव की निर्धारित तारीख से 10 हफ्ते पहले तक आप कोई बहुत ज्यादा मेहनत वाला काम नहीं करने का अधिकार होता है। 

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