बीते दिन देशभर में दुर्गा पूजा का उत्सव बड़े धूमधाम से मनाया गया। जैसा कि आप और हम सभी लोग इस बात से वकीफ हैं कि दुर्गा पूजा के दौरान देवी मां के बड़े-बड़े और सुंदर पांडल ज्यादातर जगहों पर तैयार किए जाते हैं। वहीं कोलकाता में इस त्योहार को लेकर जगह-जगह धूम रहती है। लेकिन क्या आपको यह बात मालूम है कि ये जो विशाल और बेहद खूबसूरत पंडाल हैं इन्हें तो सिर्फ वही लोग देख सकते हैं जिनको भगवान ने आंखे दी हैं,लेकिन हम सबके बीच कर्ई सारे ऐसे लोग भी हैं जो किसी परेशानी की वजह से अपनी आंखे खो चुके हैं या फिर वह लोग जन्म से ही देख नहीं सकते हैं तो आखिर ये लोग कैसे मां दुर्गा के पांडल का दर्शन कर पाएंगे।
कोलकाता में सेवी संघ समाज ने नेत्रहीन बच्चों के लिए एक बेहद अलग सा पंडाल का निर्माण किया। जिसमें बच्चे देवी मां की मूर्तियों को छूकर उन्हें खुद से ही महसूस कर सकते हैं। इन मूर्तियों को 12000 screws की एक मूर्ति बनाई गई है। इतना ही नहीं इस मूर्ति पर एक श्लोक भी लिखा गया है जिसे बच्चे अपने हाथों से छूकर आसानी से पढ़ सकते हैं।
आयोजको का कहना है कि हम इन सभी विचारों से काफी आगे बढ़ गए थे कि हमने फौरन ही इसे आखिरी रूप दिया। शुरूआत करने के लिए हमने नरेंद्रपुर ब्लाइंड बॉयज अकादमी और वॉयस ऑफ वल्र्ड के स्टूडेंट्स के साथ बातचीत करी और उनसे पूछा कि दुर्गा पूजा का क्या मतलब होता है।
उन सभी बच्चों के विचारों,सपनों और भवनाओं को ध्यान में रखकर हमने अपने पंडाल में एक काल्पनिक दुनिया बनाने के बारे में सोचा। आयोजकों ने नेत्रहीन स्कूलों के बच्चों को विशेष निमंत्रण दिया है,जिन्होंने पंडाल के पास पोडियम पर कई अलग-अगल सांस्कृतिक प्रदर्शनों का मंचन किया है।