अब ऑनलाइन न्यूज पोर्टल्स पर स्मृति ईरानी के मंत्रालय की नजर, कानून तय करने के लिए बनाई कमेटी - Punjab Kesari
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अब ऑनलाइन न्यूज पोर्टल्स पर स्मृति ईरानी के मंत्रालय की नजर, कानून तय करने के लिए बनाई कमेटी

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फेक न्यूज पर दिशा निर्देशों को वापस लेने के बाद सूचना प्रसारण मंत्रालय ने दूसरा तरीका अपनाया है । मंत्रालय ने अब एक कमेटी बनाने का फैसला किया है जो कि समाचार पोर्टलों और मीडिया वेबसाइटों के लिए नियम बनाएगी। कहा जा सकता है कि इस समिति के जरिए सरकार ऑन लाइन न्यूज़ पर नज़र रखेगी।

कमेटी में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय सचिव के नेतृत्व में इस में दस सदस्य शामिल होंगे। कमेटी में इसके अलावा इलेक्ट्रॉनिक एवं आईटी मंत्रालय, गृह मंत्रालय के सचिव और और माय गव (MyGov.) के सीईओ शामिल हैं। मंत्रालय के आदेश के अनुसार, कमेटी को ऑनलाइन मीडिया, न्यूज पोर्टल और ऑनलाइन सामग्री प्लेटफॉर्म के लिए उपयुक्त नीति तैयार करने की सलाह देनी होगी।

इसमें डिजिटल प्रसारण को भी शामिल किया गया है, जिसमें मनोरंजन, इन्फोटेनमेंट, न्यूज और मीडिया एग्रीगेटर शामिल हैं। इसके अलावा कमेटी को समान नियमों के लिए अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य का विश्लेषण भी करना होगा। आदेश के अनुसार, ऑनलाइन सूचना प्रसारण के क्षेत्र को वर्णित करना होगा, जिसे प्रिंट और टेलीविजन मीडिया के समान नियमों के तहत लाया जाना चाहिए।

इसके अलावा, केबल टेलीविजन नेटवर्क्स एक्ट 1995 के प्रोग्राम एंड एडवर्टाइजिंग कोड्स के द्वारा प्राइवेट टेलीविजन चैनल्स के कंटेट को नियंत्रित किया जाएगा, जबकि प्रिंट मीडिया के लिए प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया है, जिसके अपने खुद के मानदंड हैं।

सरकार का मानना है कि ऑनलाइन मीडिया, न्यूज पोर्टल्स और डिजिटल ब्रॉडकास्टिंग के लिए कोई दिशा-निर्देश और मानदंड नहीं हैं। इन माध्यमों के लिए नियमों की सिफारिश करने से पहले कमेटी को एफडीआई मानदंड, केबल टेलीविजन नेटवर्क एक्ट और प्रेस काउंसिल द्वारा जारी किए गए मानदंड, न्यूज ब्रॉडकास्ट एसोसिएशन द्वारा बनाए गए कोड ऑफ एथिक्स, इंडियन ब्रॉडकास्टिंग फाउंडेशन द्वारा इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के लिए निर्धारित किए गए मानदंडों को ध्यान पर रखना होगा।

बता दें कि मंत्रालय ने ‘फेक न्यूज’ को रोकने के लिए दो अप्रैल को नियमों की घोषणा की थी। इसके तहत ‘फेक न्यूज’ प्रकाशित या प्रसारित करने वाले पत्रकारों की मान्यता निलंबित करने/ स्थायी रूप से खत्म करने की बात कही गई थी।

हालांकि, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के निर्देश पर मंत्रालय ने यह दिशानिर्देश वापस ले लिया। दरअसल, मीडिया संगठनों और विपक्षी पार्टियों ने इन नियमों की आलोचना करते हुए इसे स्वतंत्र प्रेस की आवाज दबाने वाला बताया था।

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