हमारे देश में पौराणिक काल से गाय को मां को दर्जा दिया गया है। गाय से जुड़ी सभी चीजों को दैवीय माना जाता है। गाय का घी, गाय का दूध, गौमूत्र और यहां तक कि गाय के गोबर का प्रयोग भी पूजापाठ में किया जाता है।जो व्यक्ति गाय की सेवा एवं पूजा करता है उस पर आने वाले सभी प्रकार की विपदा को गौ माता हर लेती है।
आज भी कई घर ऐसे हैं जहां पहली रोटी गाय की निकाली जाती है।गाय की पूजा करने से नौ ग्रह शांत रहते हैं।पुराणों के अनुसार गाय के भीतर सभी देवताओं का वास माना जाता है।गाय के सींगों में भगवान शिव जी का वास माना जाता है। गाय के उदर में भगवान शिव जी के बड़े बेटे कार्तिकेय, मस्तक में ब्रह्मा, ललाट में रुद्र, सीगों के आगे वाले भाग में भगवान इन्द्र, कानों में अश्विनीकुमार, आंखों में सूर्य और चंद्र, दांतों में गरुड़, जिह्वा में सरस्वती निवास करती है।
जिस व्यक्ति के भाग्य की रेखा सोई हुई हो तो वो व्यक्ति अपनी हथेली में गुड़ को रखकर गौ माता को जीभ से चटाये गौ माता की जीभ हथेली पर रखे गुड़ को चाटने से व्यक्ति की सोई हुई भाग्य रेखा खुल जाती है।
कोई भी शुभ कार्य अटका हुआ हो या प्रयत्न करने पर भी सफल नहीं हो रहा हो तो गौ माता के कान में कहिये रूका हुआ काम बन जायेगा।
गाय के पूछ में पवन पुत्र हनुमान का वास माना जाता है ऐसा माना जाता है कि अगर किसी व्यक्ति को बुरी नजर लग गया है तो गाय की पूंछ से झाड़ा लगाने से उसकी नजर उतर जाती है। गाय के पैरों में लगी हुई मिट्टी को तिलक बनाकर लगाने से हमें सभी तीर्थ स्थानों का फल मिलता है।
हिन्दू धर्म में माना जाता हैं की गाय की सेवा करना पुण्य का काम होता हैं| इसके अलावा एक बात और आपको जानकार हैरानी होगी कि गाय के शरीर पर मात्र हाथ फेरने से ही कई परेशानी दूर हो जाती है।यदि आप आर्थिक रुप से परेशान है तो आप रोजाना गाय के पीठ पर हाथ फेरे,इसके साथ गाय के गोबर के उपले को घर में लाकर धुनी देने से आर्थिक कष्टों से छुटकारा मिलता है।
जो व्यक्ति गाय की सच्चे मन से सेवा करता है वह सभी सुखों को प्राप्त करके स्वर्ग लोक को जाता है और अच्छे कुल में जन्म लेता है।