शिवशम्भू और उनके भक्त दोनों की ही लीला अपरम्पार हैं। दोनों ही एक-दूसरे के लिए जितने सच्चे हैं और मन के अच्छे हैं ये तो सभी जानते हैं। ऐसे ही भोलेनाथ के सभी मंदिरों की कुछ न कुछ कहानी तो जरूर होती है। लेकिन इन सबसे अलग समस्तीपुर के खुदनेश्वर धाम की कहानी तो सबसे अजब है। यहां पर बाबा के शिवलिंग के साथ मजार की भी पूजा होती है। यह मजार उनकी परम महिला भक्त की है। यहां पर दोनों की पूजा एक साथ होती है। समस्तीपुर के मोरवा प्रखंड में अवस्थित ऐतिहासिक बाबा खुदनेश्वर धाम मंदिर। यहां के गर्भ गृह में बाबा भोलेनाथ के शिवलिंग और उनकी परम मुस्लिम महिला भक्त की मजार की पूजा एक साथ होती है।
कहा जाता है इस्लाम धर्म में किसी महिला की मजार की पूजा की परंपरा नहीं है। लेकिन यहां पर उनकी भक्त खुदनी बीवी के पाक मजार की पूजा होती है। यह देव स्थान पूरे विश्व का एक दुर्लभ धरोहर है। जिसकी गाथा पूरे विश्व में कही जाती है। बाबा खुदनेश्वर व खुदनी बीबी की मजार के संबंध में हृदयस्पर्शी रोमांचक कथा प्रसिद्ध है।
जानिए क्या है इस मंदिर की कहानी
बताया जाता है कि 12वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध तक देश में इस्लाम धर्मवालंबियों का आगमन हो चुका था। मोरवा प्रखंड के वर्तमान स्थल के वनप्रांतर में पीर बख्श और ख़ैर निशा नाम के गरीब मुस्लिम दंपति रहते थे। उनकी बालिका खुदनी प्रतिदिन इस वन में गाय चराने जाती थी। एक दिन एक काली गाय ने दूध देना बंद कर दिया। माता पिता को आशंका हुई, जिसके बाद उनके परिवार के लोगों ने खुदनी को फटकार लगाई। इसके बाद, बालिका खुदनी ने गाय पर निगरानी करने लगी तो देखा की उक्त गाय एक स्थान पर अपना सारा दूध गिरा रही है।
हालांकि यह प्रत्येक दिन का सिलसिला होने लगा। जब बालिका खुदनी ने इस रहस्य का खुलासा किया। इसके बाद उस स्थल की खुदाई करने के दौरान वहां पर शिवलिंग पर प्रहार से रक्त की धारा फूट पड़ी। फिर स्थानीय लोगों की प्रार्थना पूजा अर्चना के बाद मुश्किल से रक्त की धारा बंद हुई।
शिवलिंग की पूजा करने पर हुई कैद
इस घटना के बाद से वहां पूजा होने लगी। बालिका खुदनी उस शिवलिंग की तभी से भक्ति भाव के साथ पूजा अर्चना करनी लगी। इसके बाद रहमत अली नाम के युवक से उसका निकाह हुआ। इस्लाम धर्म में बुतपरस्ती के खिलाफ शिवलिंग पूजा के कारण खुदनी बीवी के पति रहमत अली को दिल्ली के बादशाह कुतुबुदीन ऐबक ने कैद कर लिया।
खुदनी बीबी को शिवलिंग भक्ति एवं बाबा खुदनेश्वर की कृपा से बादशाह ने खुदनी बीबी के पति को स्थानीय जागीरदारी देकर ससम्मान रिहा कर दिया। तब जीवन की अंतिम सांस तक बाबा खुद ईश्वर की भक्ति मेवा समर्पित रही। मरने के बाद अंतिम इच्छा के अनुसार बाबा भोलेनाथ के शिवलिंग के पास खुदनी बीबी को दफनाकर मजार बनाया गया। उसी समय से शिवलिंग के साथ पाक मजार की पूजा होती चली आ रही है।