दुनिया में अलग-अलग तरीके का खाना खाया जाता है। मगर भारत के खाने की बात ही कुछ और है, दुनियाभर के लोग भारतीय खाने के दीवाने होते हैं। दूर-दूर से लोग इंडिया के खाने के लिए आते है और उसकी तारीफों के पुल बांधते हैं। ये बात तो सभी जानते है कि कुछ देशों में सांप, बिच्छू, मेढक, छिपकली, मगरमच्छ आदि जैसे जीवों को भी चाव से खाया जाता है, लेकिन क्या आप जानते है कि भारत में भी ऐसे कई प्रदेश हैं, जहां एक अजीबोगरीब डिश खाई जाती है।
इस अजीबोगरीब डिश के बारे में शायद ही आप में से कोई जानता होगा। मगर भारत के तीन राज्यों में इस डिश को लोग बड़े ही शौक से बनाते और खाते हैं। लाल चींटियों के बारे में तो सभी जानते हैं लेकिन क्या आप जानते है कि इन लाल चींटियों का इस्तेमाल इंडिया में लोग अपने खाने में करते हैं। जी हां हम जिस डिश की बात कर रहे हैं कि उसका नाम ‘चींटी की चटनी’ है।
चींटी की चटनी सुनकर ही आपको थोड़ा अजीब लग रहा होगा कि भला ये कैसी डिश है और लोग इसे कैसे खाते होंगे। मगर बताते चले कि भारत के तीन पूर्वी राज्यों के कुछ समुदायों के लोगों द्वारा शौक से खाई जाती है। ओडिशा, छत्तीसगढ़ और झारखंड में रहने वाले कुछ समुदाय के लोगों को चींटी की चटनी बहुत टेस्टी लगती है। चींटी की चटनी को स्थानीय भाषा में चापड़ा कहा जाता है।
चलिए अब बताते है कि इन चटनी को कैसे तैयार किया जाता है। लाल चींटियां पेड़ के पत्तों पर अपना घर बनाती हैं, इस चटनी को तैयार करने के लिए सबसे पहले उन पेड़ों के पत्तों को तोड़ा जाता है। फिर पत्तों को आग में गर्म किया जाता है, जिससे चींटियां मर जाती हैं। उसके बाद इन्हें अच्छे से साफ किया जाता है, फिर धनिया, नमक, हल्दी, मिर्च, डालकर इसकी चटनी बनाई जाती है।
ऐसा कहा जाता है कि इस चटनी में प्रोटीन भरपूर मात्रा में पाया जाता है। इसे खाने वाले लोगों का कहना है कि ये चटनी बहुत ज्यादा स्वादिष्ट होती है। जो इसे खाता है, वो खाता ही रह जाता है। खट्टी और चटपटी इस चटनी कुछ लोगों को इतनी ज्यादा पसंद आने लगी है कि इसको अब जीआई टैग देने की मांग भी होने लगी है। कहा जाता है कि ये चटनी खांसी, जुकाम, पीलिया, जोड़ों के दर्द डेंगू और मलेरिया जैसे रोगों में फायदेमंद होती है।