संतान प्राप्ति हेतु नवविवाहित करें सावन की एकादशी व्रत, जानें इसका धार्मिक महत्व - Punjab Kesari
Girl in a jacket

संतान प्राप्ति हेतु नवविवाहित करें सावन की एकादशी व्रत, जानें इसका धार्मिक महत्व

शादी के बाद लगभग सभी लोगों की यह इच्छा होती है कि उन्हें संतान सुख प्राप्ति हो। लेकिन

शादी के बाद लगभग सभी लोगों की यह इच्छा होती है कि उन्हें संतान सुख प्राप्ति हो। लेकिन कई सारे ऐसे लोग जिन्हें ये सुख आसानी से नहीं मिल पाता है और उन्हें ये सुख मिलने के लिए कई सारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में दाम्पत्य जीवन में निराशा होने लगती है। बता दें कि पद्म पुराण में संतान की चाहत रखने वाले लोगों के लिए सावन मास की एकादशी के व्रत के बारे में बताया गया है। इस साल यह एकादशी 11 अगस्त के दिन यानि रविवार को पड़ रही है। संतान सुख के प्रदान करने वाली इस एकादशी को पुत्रदा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। 
1565437672 timang

पुत्रदा एकादशी का महत्व

शास्त्रों में इस बात का उल्लेख किया गया है कि जोड़े से इस एकादशी का व्रत करने से पुत्र की दीर्घायु प्राप्त होती है। जो भी शादीशुदा जोड़े संतान सुख से वंचित है यह व्रत करने से उनके घर में किलकारी गूंजने लगती है। यह एकदाशी उनमें से है जो आपके सभी पापों का नाश कर देती है। मान्यता यह भी है कि इस एकादशी की कथा पढऩे और सुनने से कई गायों के दान के बराबर पुण्य की प्राप्ति होती है। इस व्रत में भगवान विष्णु और पीपल की पूजा करने का विशेष महत्व बताया गया है। 
1565437704 vishun

क्या करना चाहिए और क्या नहीं?

जो भी लोग पुत्रदा एकादशी का व्रत करते हैं उसे सदाचार का पालन करना होता है। इस दिन प्याज,बैंगन,पान-सुपारी,लहसुन,मांस-मदिरा आदि चीजों से बिल्कुल दूर रहना चाहिए। दशमी तिथि से ही पति-पत्नी को भगवान विष्णु का ध्यान करना चाहिए। इस व्रत में नमक का सेवन करने से भी बचना चाहिए। इसके साथ ही कांसे के बर्तन में भोजन करन चाहिए।
1565437798 vishnu bhgwan

पुत्रदा एकादशी की पूजाविधि

दंपती सुबह नहाने कर साफ वस्त्र पहनकर इस व्रत का संकल्प लें। घर या मंदिर जाकर भगवान का जोड़े का साथ पूजा करें। पूजा के समय सबसे पहले भगवान के विग्रह को गंगाजल से स्नान कराएं या उस पर गंगाजल की बूंदे भी छिड़क सकते हैं। साथ ही पवित्रीकरण का मंत्र बोलते हुए खुद पर भी गंगाजल छिड़क लें। इसके बाद दीप-धूप जलाएं और भगवान को टीका लगाते हुए अक्षत भी अर्पित करें। फिर भगवान पर भोग लगाएं। साथ ही व्रत का पाठ करें और विष्णु-लक्ष्मीजी की आरती करें। संतान प्राप्ति के लिए गरीबों को दान करना ना भूलें। भगवान से इस व्रत का सफलतापूर्वक होने की कामना करें। 
1565437711 paush purnima

पुत्रदा एकादशी की तिथि और शुभ मुहूर्त 

एकादशी तिथि प्रारंभ: 10 अगस्‍त 2019 को दोपहर 03 बजकर 39 मिनट से 
एकादशी तिथि समाप्‍त: 11 अगस्‍त 2019 को शाम 04 बजकर 22 मिनट तक 
पारण का समसय: 12 अगस्‍त 2019 को सुबह 06 बजकर 24 मिनट से सुबह 08 बजकर 38 मिनट तक 
1565437757 screenshot 1

व्रत की कथा 

श्री पद्मपुराण के अनुसार द्वापर युग में महिष्मतीपुरी का राजा महीजित बड़ा ही शांतिप्रिय और धर्म प्रिय था, लेकिन उसकी कोई संतान नहीं थी।  राजा के शुभचिंतकों ने यह बात महामुनि लोमेश को बताई तो उन्होंने बताया कि राजन पूर्व जन्म में एक अत्याचारी, धनहीन वैश्य थे। इसी एकादशी के दिन दोपहर के समय वे प्यास से व्याकुल होकर एक जलाशय पर पहुंचे, तो वहां गर्मी से पीड़ित एक प्यासी गाय को पानी पीते देखकर उन्होंने उसे रोक दिया और स्वयं पानी पीने लगे। राजा का ऐसा करना धर्म के अनुरूप नहीं था। अपने पूर्व जन्म के पुण्य कर्मों के फलस्वरूप वे अगले जन्म में राजा तो बने, लेकिन उस एक पाप के कारण संतान विहीन हैं।  महामुनि ने बताया कि राजा के सभी शुभचिंतक अगर श्रावण शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को विधि पूर्वक व्रत करें और उसका पुण्य राजा को दे दें, तो निश्चय ही उन्हें संतान रत्न की प्राप्ति होगी।  इस प्रकार मुनि के निर्देशानुसार प्रजा के साथ-साथ जब राजा ने भी यह व्रत रखा, तो कुछ समय बाद रानी ने एक तेजस्वी संतान को जन्म दिया। तभी से इस एकादशी को श्रावण पुत्रदा एकादशी कहा जाने लगा। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *


Girl in a jacket
पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।