प्रयागराज में कई ऐसी जगह हैं जिनका इतिहास से काफी गहरा संबध है
प्रयागराज में संगम किनारे हनुमान जी का प्राचीन मंदिर है
माना जाता है कि इस मंदिर की कहानी हनुमान जी के पुनर्जन्म से जुड़ी हुई है
पौराणिक कथाओं के अनुसार, लंका जीतने के बाद बजरंगबली पीड़ा के कारण मरणासन्न अवस्था में यहां पहुंच आए थे
तब सीता जी ने यहीं पर उन्हें अपना सिंदूर देकर नया जीवन दिया और उन्हें स्वस्थ और चिरंजीवी रहने का आशीर्वाद दिया
माता सीता ने यह भी कहा कि जो भी त्रिवेणी संगम में स्नान करेगा उसे उसका फल तभी मिलेगा जब वह बजरंगबली जी के दर्शन करेगा
हनुमान जी को “प्रयाग के कोतवाल” भी कहा जाता है
इतिहास की माने तो 1400 ईसवी में मुगल सम्राट औरंगजेब के शासन के दौरान इस प्रतिमा को हटाने के लिए 100 सैनिकों को लगाया गया था। लेकिन वे प्रतिमा को हिला भी नहीं सके
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