इस टीचर के जज्बे को सलाम, मासूमों के लिए रोजाना गले तक पानी में तैरकर जाती है स्‍कूल - Punjab Kesari
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इस टीचर के जज्बे को सलाम, मासूमों के लिए रोजाना गले तक पानी में तैरकर जाती है स्‍कूल

ओडिशा के ढेंकनाल जिले में स्थिल राठीपाल प्राथमिक विद्यालय में बिनोदिनी सामल नाम की एक शिक्षिका है जो

ओडिशा के ढेंकनाल जिले में स्थिल राठीपाल प्राथमिक विद्यालय में  बिनोदिनी सामल नाम की एक शिक्षिका है जो पिछले 11 सालों से पढ़ा रही हैं। बिनोदिनी 1 से 3 कक्षा के बच्चों को पढ़ाती हैं। इतने लंबे समय में शायद ही कोई इन्होंने छुट्टी ली होगी। फिर बेशक मौसम बरसात का हो या फिर गर्मी का। वो हमेशा टाइम पर स्कूल पहुंचने में कामयाब रही हैं। इतना ही नहीं सबसे हैरान कर देने वाली बात यह है कि शिक्षिका बिनोदिनी रोजाना स्कूल पहुंचने के चक्कर में नदी भी पार करती है जबकि उनकी गर्दन तक पानी भरा रहता है। 
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स्कूल में 2008 से पढ़ा रही हैं
49 साल की बिनोदिनी गणशिक्षक के तौर पर साल 2008 से पढ़ा रही है। उन हजारों शिक्षकों की तरह जिन्हें 2000 के शुरूआती दिनों में जन शिक्षा विभाग द्वारा नियुक्त किया गया था। दरअसल मॉनसून के दिनों में स्कूल पहुंचने के लिए बिनोदिनी सपुआ नदी पार करके स्कूल पहुंचती है। इस दौरान उन्हें एक टीचर होने के  साथ-साथ तैराक की भूमिका भी निभानी पड़ती है। 
1,700रुपए थी पहली सैलरी
एक रिपोर्ट के मुताबिक बिनोदिनी की गण्शिक्षक के तौर पर 1,700 रुपए पहली सैलरी मिली थी। जो अब 27,000 रुपए हो गई है। बीते कुछ दिनों पहले ही बिनोदिनी की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही थी। जिसमें वो गर्दन तक पानी में उतरकर नदी पार कर रही थीं। उनका कहना है कि मेरे लिए काम किसी भी चीज से ज्यादा जरूरी नहीं है मैं घर पर बैठ कर  क्या करूंगी। 
नदी पर पुल अभी तक नहीं बना
राठीपाल प्राथमिक स्कूल में बिनोदिनी 53 बच्चों को पढ़ाती है। उनके घर से यह स्कूल करीब तीन किलोमीटर दूर सपुआ नदी के पार ढेंकनाल जिले के हिंडोल ब्लॉक के जरीपाल गांव में स्थित है। कुछ समय पहले नदी पर 40 मीटर चौड़ा पुल बनाने का प्रस्ताव आया था जिस पर अभी तक भी काम नहीं शुरू किया गया है। 
बिनोदिनी और स्कूल की प्रधानाध्यापिका काननबाला मिश्रा हर रोज सपुआ से होकर स्कूल पहुंचते हैं। हालांकि यह नदी गर्मियो में ज्यादातर बार सूखी पड़ी रहती है। जबकि मॉनसून और बारिश के वक्त यहां जल भाराव हो जाता है। बारिश होने की वजह से जहां प्रधानाध्यापक और बच्चे कभी स्कूल नहीं पहुंच पाते तो वहीं बिनोदिनी चाहे कैसे भी स्कूल पहुंचे वह जाती जरूर हैं कभी एक छुट्टी नहीं लेती हैं। 
एक जोड़ी कपड़े स्कूल में रखती हैं
बिनोदिनी ने बताया कि वह एक जोड़ी कपड़े स्कूल की अलमारी में ही रखती हैं। ताकि नदी से होकर गुजरने के बाद वो अपने गीले कपड़ें बदल सके। बिनोदिनी नदी पार करते वक्त अपने कीमती सामान को प्लास्टिक की थैली में रख लेती है और तैरकर नदी झटपट पार कर लेती है। वहीं बिनोदिनी कहती है कि बहुत बार मेरी तबीयत कुछ ठीक नहीं रहती है लेकिन मैंने एक दिन की भी छुट्टी नहीं ली है। 

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