ना जानवर ना इंसान, इस से होती है लड़की की शादी, अनोखी रस्म जानकर उड़ जाएंगे होश - Punjab Kesari
Girl in a jacket

ना जानवर ना इंसान, इस से होती है लड़की की शादी, अनोखी रस्म जानकर उड़ जाएंगे होश

गांव में अनोखी रस्म, इस से कराई जाती है लड़की की शादी

भारत के मिथिलांचल गांव की अनोखी परंपरा में लड़कियों की शादी आम और महुआ के पेड़ों से कराई जाती है। विवाह से पहले दुल्हन और उसका परिवार बगीचे में जाकर पेड़ों की शादी कराते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस रस्म से वर-वधू के सभी दोष समाप्त हो जाते हैं और उनका जीवन सुखी होता है। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है।

भारत और भारत में रहने वाले लोग अपनी संस्कृति विविधता और समृद्धि के लिए जाने जाते हैं। भारत में कई तरह के खान-पान, बोली भाषा और रहन-सहन का मेल देखने के मिलता है। भारत में कई लोग सदियों से अपने पूर्वजों की काफी पुरानि परंपराओं का भी पालन करते हुए आ रहे हैं। इतना ही नहीं वह आने वाली पीढ़ी को भी इन परंपराओं से अवगत कराते हैं और इन परंपराओं का सख्ती से पालन करने को कहते हैं। भारत में रहने वाले हर राज्य, शहर और हर गांव में अपनी ही एक अलग-अलग रिति-रिवाज चले आ रहे हैं, जिनका लोग आज भी आंख बंद करके पालन कर रहे हैं और उस परंपरा को पूरी श्रद्धा से निभा रहे हैं। इस बार भी एक ऐसी ही परंपरा के बारे में हम आपको बताने वालें जो भारत के एक गांव में मानी जाती है। यहां रहने वाले लोग इस परंपरा को सदियों से मानते और निभाते आ रहे हैं। इस गांव में लोग अपने घर की बेटियों की शादी किसी इंसान से नहीं करते हैं। इस गांव की परंपरा को जानकर आपके भी होश उड़ जाएंगे। आइए जानते हैं क्या है पूरा सच

ये बनता है लड़की का दूल्हा

भारत के हर राज्य में कई गांव हैं और इन्हीं में से एक है मिथिलांचल। मिथिलांचल में एक ऐसी ही परंपरा निभाई जा रही है जिसको सुनकर कोई भी हैरान रह जाएगा। दरअसल इस गांव मे लोग अपनी बेटी की शादी जब करते हैं तो बारात के आने के बाद एक रस्म निभाई जाती है। इस रस्म के अनुसार शादी के समय दुल्हन और उसका पूरा परिवार एक आम के बगीचे में जाते हैं और दो पेड़ की शादी आपस में कराते हैं। दोनों पेड़ों की शादी कराने के बाद वह लड़की की शादी भी उसी पेड़ से कराते हैं। इन पेड़ों में आम और महुआ के पेड़ शामिल है, जिनसे लड़की की शादी कराई जाती है और इन्हीं दोनों पेड़ों की आपस में भी शादी कराई जाती है। सबसे पहले लड़की इन पेड़ों पर कलावा बांधती है और फिर उसकी शादी की रस्में पेड़ों के साथ निभाई जाती है। इन सभी रस्मों को पूरा करने के बाद ही वर-वधू की आपस में शादी कराई जाती है।

कैसे करते हैं इस रस्म को पूरा

इस गांव में ऐसी मान्यता यह है कि ऐसा करने से जोड़ी हमेशा सलामत रहती है और वर-वधू दोनों के सारे दोष समाप्त हो जाता है। इस रस्म को निभाने के लिए सबसे पहले मिथिला क्षेत्र में दो पेड़ों की आपस में शादी कराई जाती है। इस रस्म को पूरा करने के लिए आम और महुआ पेड़ की शादी होती है। जब लड़की की बारात दरवाजे पर आती है तो उस समय दुल्हन और उसके जो परिवार के लोग हैं, आमतौर पर चाची, नानी, सगे-संबंधी, दादी सब लोकगीत गाते हुए बगीचे में जाती हैं और वहां पर महुआ और आम के पेड़ का आपस में शादी कराती हैं। इसके लिए वह पेड़ों पर लड़की से कलावा बंधवाते हैं और जब दोनों पेड़ों की आपस में शादी हो जाती है तो लड़की भी उनसे शादी करती है। इसके बाद जाकर वर-वधू आपस में शादी करते हैं। यह परंपरा दोनों वर-वधू के सुखी जीवन के लिए निभाई जाती है। लोगों का ऐसा मानना है कि दोनों पेड़ों का रिश्ता जोड़ा जाता है, तब विवाह में दुल्हन-दूल्हा का रिश्ता जुड़ता है।

इस परंपरा को निभाने के पीछे का क्या है सच

यह परंपरा इस गांव में सदियों से चली आ रही है। इसको निभाने के पीछे का सबसे बड़ा कारण यह है कि- मैथिल क्षेत्र में जो ब्राह्मण रहते हैं। वह ब्राह्मण शादी से पहले कुंडली दिखाना, मांगलिक दोष आदि रीति-रिवाजों को नहीं मानते है। इस गांव में रहने वाले सभी ब्राह्मणों का ऐसा मानना है कि-मैथिल ब्राह्मण में मांगलिक और बिना मांगलिक वाली शब्द नहीं होती है। इसी कारण से दोनों वर-वधू को किसी गंभीर दोष से मुक्त करने कि लिए शादी के पहले यह रस्म निभाई जाती है। यहां पर सभी वर-वधु को दोष मुक्त कराने के बाद ही शादी होती है। इस रस्म को करने का अर्थ यही होता है कि नए जोड़े को सांसारिक जीवन का सभी सुख प्राप्त हो, जो भी जोड़े पर बुरा प्रभाव पड़े उससे मुक्त हो जाता है और पेड़ों की शादी में ग्रह कट जाता है।

Viral Video: बंजारन ने सुनाई ऐसी फर्राटेदार अंग्रेजी, विदेशी टूरिस्ट भी रह गए हैरान, देखें वीडियो

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

10 − 2 =

Girl in a jacket
पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।