आज शारदीय नवरात्रि का तीसरा दिन है। नवरात्रि के तीसरे दिन माता चंद्रघंटा की पूजाNavratri 2019: नवरात्रि के तीसरे दिन चंद्रघंटा देवी की होती है पूजा, इन बातों का जरूर रखें ध्यान की जाती है। रत्न जड़ित मुकुट माता चंद्रघंटा के माथे पर है और इसमें अर्धचंद्रमा की आकृति है। बता दें कि एक घंटी इसमें लटकी होती है। इस अद्भुत मुकुट होने से ही माता को चंद्रघंटा नाम मिला है।
मां का स्वरुप ऐसा है
परम मंगलकारी और कल्याणकारी माता चंद्रघंटा का यह स्वरूप होता है। अर्धचंद्र माता के मस्तक पर घंटे के आकार में बना हुआ है। माता के इसी मुकुट की वजह से उन्हें चंद्रघंटा देवी के नाम से बुलाया जाता है। माता चंद्रघंटज्ञ के स्वरूप के बारे में पुराणों में बताया गया है कि कांतिमय देवी की अंगों की आभा स्वर्ण के समान की तरह है। 10 हाथ और वाहन सिंह मां के हैं।
मां के 10 हाथों में यह है
त्रिशूल, कमल, धनुष बाण, तलवार, कमंडल, गदा और जप माला माता के दस हाथों में होते हैं। वहीं वरद मुद्रा में माता का एक हाथ है और श्वेत पुष्प की माला कंठ में है। चिरायु, आरोग्य और सुख-संपदा का आशीर्वाद भक्तों को देवी मां अपने दोनाें हाथों से देती हैं।
मनोकामना पूरी होती है
मनुष्य पर माता चंद्रघंटा की कृपा होती है तो उसके सारे पाप, बाधाएं और कष्ट दूर हो जाते हैं। उपासक माता के इस स्वरुप की उपासना से निर्भयी भी होते हैं। भक्तों के कष्ट का माता चंद्रघंटा अतिशीघ्र निवारण करती हैं। नजरदोष-प्रेतबाधा जैसी सभी नकारात्मक चीजें का भय आदिशक्ति के इस स्वरुप की पूजा करने से दूर हो जाता है। भक्तों के जीवन में मां हमेशा सुख और शांति का संचार करती हैं।
इन मंत्रों से माता चंद्रघंटा के इस तरह करें ध्यान
पिण्डज प्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते महयं चन्दघण्टेति विश्रुता।।
वन्दे वांछित लाभाय चन्द्रार्धकृत शेखरम्।
सिंहारूढाचन्द्रघंटायशस्वनीम्॥
मणिपुर स्थितां तृतीय दुर्गा त्रिनेत्राम्।
खंग, गदा, त्रिशूल,चापशर,पदम कमण्डलु माला वराभीतकराम्॥
प्रफुल्ल वंदना बिबाधारा कांत कपोलां तुगं कुचाम्।
कमनीयां लावाण्यां क्षीणकटि नितम्बनीम्॥
मां की पूजा इसलिए करते हैं तीसरे दिन
नवरात्र के तीसरे दिन माता चंद्रघंटा की पूजा करने का एक बड़ा कारण है। भगवान शंकर को पाने के लिए जो अवतार माता ने लिया है उसकी पूजा पहले और दूसरे नवरात्र के दिन होती है। भगवान शंकर को जब माता ने पति के रूप में पा लिया तो उसके बाद आदिशक्ति रूप में माता आ जाती हैं। देवी पार्वती के जीवन की तीसरी बड़ी घटना के रूप में उन्हें अपना प्रिय वाहन बाघ प्राप्त होता है। माता बाघ पर इस वजह से सवार हैं और अभय प्रदान करती हैं भक्तों को दर्शन देकर।
यह चीज लगाएं भोग में
नवरात्र के तीसरे दिन भक्तों को लाल रंग के कपड़े पहनकर माता चंद्रघंटा की उपासना करनी चाहिए। सफेद वस्तुएं जैसे दूध या दूध से बनी चीजें खीर आदि मां को भोग लगाना होता है। मां को शहद का भोग भी लगा सकते हैं।