ये शख्स बाइक एंबुलेस के जरिए लोगों को पहुंचाता है अस्पताल,बचाई 5000 मरीजों की जान - Punjab Kesari
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ये शख्स बाइक एंबुलेस के जरिए लोगों को पहुंचाता है अस्पताल,बचाई 5000 मरीजों की जान

पश्चिम बंगाल के करीमुल हक ने भी कुछ ऐसा ही कमाल कर दिखाया। जिन्होंने 30 साल पहले अपनी

पश्चिम बंगाल के करीमुल हक ने भी कुछ ऐसा ही कमाल कर दिखाया। जिन्होंने 30 साल पहले अपनी मां को खो दिया था। करीमुल की मां का निधन इस वजह से हुआ क्योंकि उन्हें समय पर अस्पताल नहीं पहुंचाया जा सका। करीमुल की मां की मौत एंबुलेंस का खर्चा देने की वजह से हुई। क्योंकि उस समय उनकी मदद के लिए कोई भी तैयार नहीं था। 
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बस यही वो समय था जब से करीमुल के अंदर एक टीस थी जो उन्हें हमेशा दुख देती थी। मगर जरूरी बात यह है कि करीमुल ने अपने इसी दर्द का अपनी ताकत बनाया। 
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एक बार की बात है जब उनका एक दोस्त बीमार हो पड़ गया था तब करीमुल ने अपने दोस्त को अपनी कमर पर बांधकर 50 किमी तक बाइक चलाई और उसे अस्पताल में भर्ती करवाया। तब उन्होंने सोचा कि ना जाने दुनिया के कितने गरीब लोग समय पर अस्पताल न पहुंच पाने की वजह से अपनी जान गंवा देते हैं।
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 इस दुनिया में सबसे बड़ा दर्द कुछ होता है तो वह है अपनों को खोने का। यह ऐसा दर्द होता है जो काफी लंबे वक्त तक आदमी को अंदर से झकझोर कर देता है। बहुत से ऐसे लोग भी होते हैं जो इतनी सारी परेशानियां झेलने के बाव खुद को बेबस और लाचार समझ लेते हैं। 
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वहीं कई सारे ऐसे लोग भी होते हैं। जो इस दर्द को पीछे छोड़कर जिंदगी में कुछ नया करने की ठान लेते हैं और दूसरे लोगों के लिए एक बड़ी मिसाल बनकर पेश होते हैं। 
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यही वो दिन था जब उन्होंने इस बात का फैसला कर लिया था कि आज के बाद उनके रहते हुए ऐसा कुछ भी नहीं होगा। इसके बाद से उन्होंने मोटरबाइक पर एंबुलेंस सेवा शुरू कर दी। इतना ही नहीं ऐसा नेक काम करने के लिए करीमुल ने पहले बाइक खरीदी और उसे एंबुलेस बना लिया। अपनी इस बाइक पर अब करीमुल मरीजों को बैठाकर अपनी कमर से बांधकर अस्पताल तक ले जाता है। 
एक रिपोर्ट के मुताबिक करीमुल करीब 5 हजार लोगों की जान बचा चुके हैं। अपने इस काम की वजह से वह लोगों में इस कदर मशहूर हो गए हैं कि लोग उन्हें एंबुलेंस दादा कहते हैं। 
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करीमुल ने अपने इस सेवा वाले काम में अपनी सैलरी के 4000 रुपए भी खर्च किए हैं। उन्हें इस सेवा करने वाले काम करने के लिए पद्मश्री से भी सम्मानित किया जा चुका है।
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करीमुल सिर्फ इतना करके ही नहीं रुके बल्कि अब उनका सपना है कि वो एक ऐसा अस्पताल बनवाएं जहां लोगों का अच्छे से इलाज हो। 

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