शनिदेव को प्रसन्न करने और उनकी कृपा पाने के लिए विधिपूर्वक पूजा-अर्चना की जाती है।अगर इस दौरान कुछ बातों का ध्यान न रखा जाए, तो व्यक्ति को पूजा का फल नहीं मिलता।ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनिदेव को न्यायकर्ता और दंड नायक के नाम से जाना जाता है। कहते हैं कि शनि देव की नाराजगी व्यक्ति को नाराज बर्बाद कर देती है।वहीं, अगर शनि की कृपा मिल जाए, तो व्यक्ति को रंक से राजा बनने में भी समय नहीं लगता।शनि की साढ़े साती और ढैय्या के दौरान भी व्यक्ति को शनि के प्रकोप से गुजरना पड़ता है।
शनि देव की कृपा पाने के लिए शनिवार के दिन सरसों का तेल चढ़ाया जाता है।तेल चढ़ाते समय आपको कुछ विशेष बातों का भी ध्यान रखना होगा।
शनिदेव को हमेशा लोहे के पात्र से ही तेल चढाएं। यानि शनि देव पर जब भी तेल चढ़ाएं जिस भी पात्र से चढ़ाएं वो लोहे का ही होना चाहिए।
शनि देव को तेल चढ़ाते वक्त आपका ध्यान शनिदेव के चरणों पर ही होना चाहिए, ऐसा इसीलिए कहा जाता है क्योंकि शनि देव से आंखे नहीं मिलानी चाहिए। तभी उनकी ओर आंखें ना करें उनके चरणों को देख कर तेल चढ़ाएं।
शनिदेव को तेल चढ़ाते समय पवित्रता, शुद्धता और स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें।यानि तन और मन दोनों ही स्वच्छ होंगे तब मिलेगा शनिदेव का आशीर्वाद।
शनिवार के दिन शनिदेव को तेल चढ़ाते समय इस बात का खास ख्याल रखें कि तेल में पहले अपना चेहरा देख लें और इसके बाद उसे कहीं मंदिर में रख दें। इस उपाय को करने से शनि देव प्रसन्न होते हैं और व्यक्ति के सभी संकट और दोष दूर होते हैं।
सुख-शंति के साथ ही कृपा प्राप्ति के लिए शानि देव पर चढ़ाने वाले तेल में काले तिल मिलाकर चढ़ाएं।