इस साल मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाई जा रही है। मकर संक्रांति का पर्व धार्मिक रूप से बहुत पवित्र माना जाता है
इस दिन लोग स्नान और दान-पुण्य करते हैं। इसके अलावा आज के दिन लोग खिचड़ी जरुर खाते हैं। लेकिन खिचड़ी क्यों खाई जाती है आइए जानते हैं
खिचड़ी दान और खाने की परंपरा मकर संक्रांति वाले दिन के पीछे भी एक रोचक कहानी है। नाथ योगियों को खिलजी के आक्रमण के दौरान भोजन बनाने का समय नहीं मिलता था। यही वजह थी कि अक्सर योगी भूखे रहते थे और वो कमजोर हो जाते थे
बाबा गोरखनाथ ने इस समस्या को सुलझाले के लिए योगियों को सलाह दी कि वह दाल, चावल और सब्जी को एक साथ पका दें। यह व्यंजन नाथ योगियों को पसंद भी बहुत आया
खिचड़ी मेला मकर संक्रांति के दिन गोरखपुर स्थिति बाबा गोरखनाथ मंदिर के पास शुरु होता है। बाबा गोरखनाथ को इस मेले में खिचड़ी का भोग लगाते हैं। साथ ही भक्तों में इसी खिचड़ी का प्रसाद मिलता है
एक दूसरा भी कारण है, दरअसल मकर संक्रांति के समय नया चावल भी तैयार हो जाता है। ऐसी मान्यता है कि सारे अन्न को सूर्य देव पकाते हैं साथ ही पोषित भी उन्हें करते हैं। सूर्य देव को आभार व्यक्त करने के लिए गुड़ से बनी खीर या खिचड़ी समर्पित करते हैं
जो खिचड़ी मकर संक्रांति के दिन बनती है उसमें उड़द की दाल को इस्तेमाल किया जाता है। मान्यता के अनुसार, शनि का कोप दूर इस दिन विशेष खिचड़ी खाने से दूर होता है
वहीं वैज्ञानिक तौर पर मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी का सेवन करने से सेहत को भी लाभ मिलता है। शरीर का तापमान सर्दियों में कम हो जाता है और शरीर को गर्म तिल और गुड़ करता है। इसलिए मकर संक्रांति पर खिचड़ी खाई जाती है
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