महाकाल की भस्म आरती का समय 17 जुलाई के दिन बदल दिया जाएगा। इससे भक्तों को देरी से होंगे बाबा के दर्शन क्योंकि 16 जुलाई के दिन गुरूपूर्णिमा का दिन है और यही वह दिन है जिस दिन खंडग्रास चंद्रग्रहण भी पड़ रहा है। शास्त्रों के मुताबिक ग्रहणकाल में पूजा-पाठ और सभी शुभ कार्य निषेध होते हैं। वहीं 16-17 की दरमियानी रात से चंद्रग्रहण भी लग रहा है और चंद्रग्रहण का साया महाकाल मंदिर में सुबह होने वाली भस्म आरती पर भी होगा। जिसके चलते 17 जुलाई को सुबह 4 बजे होने वाली भस्म आरती में देरी होगी। इस दिन बाबा महाकाल के भक्तों को भस्म आरती के दर्शन के लिए काफी इंतजार भी करना पड़ सकता है। क्योंकि भस्म आरती अपने निर्धारित समय से विलंभ की जाएगी।
ज्योतिषियों के मुताबिक
ज्योतिषियों के मुताबिक 16-17 जुलाई की दरमियानी रात 1.32 बजे ग्रहण का स्पर्श होगा। रात को 3.01 बजे पर ग्रहण का मध्य रहेगा। रात को 4.30 बजे ग्रहण का मोक्ष होगा। ग्रहण का कुल समय 2 घंटे 58 मिनट का रहेगा। मान्यताओं के अनुसार ग्रहण के समत काल और ग्रहण के समय में भगवान का स्पर्श अर्जित रहता है। इस दौरान मंदिर के पट को बंद रखा जाता है।
मंदिर के कपाट शुद्घिकरण के बाद खोले जाएंगे
श्रावण मास में महाकाल मंदिर में भगवान महाकाल की भस्म आरती 4 बजे की बजाय रात को 3 बजे से ही होने लगती है। ऐसे में श्रावण मास की पहली भस्म आरती रात को 3 बजे की बजाय सुबह 5 बजे से होगी। क्योंकि ग्रहण का मोक्ष 4.30 बजे है। इसके बाद मंदिर का शुद्घिकरण किया जाएगा। उसके बाद मंदिर के पट खोले जाएंगे एंव भगवा को भी स्नान करवाया जाएगा।
पूरे भारत में दिखाई देगा ग्रहण
अगर ग्रहों की गणना से देखा जाए तो इस बार आषाढ़ी पूर्णिमा पर यानि 16 जुलाई को खंडग्रास चंद्र ग्रहण का योग बनता दिखाई दे रहा है। यह ग्रहण पूरे भारत में दिखाई देगा। लगातार दूसरे साल आषाढ़ी पूर्णिमा पर चंद्रग्रहण है।