लोहड़ी के दिन अग्निदेव के साथ-साथ भगवान श्रीकृष्ण और आदिशक्ति की भी पूजा की जाती है। जानिये इस दिन कैसे पूजा करने से मनोकामना पूर्ण होती है और पूजन का सही समय क्या है। वैसे तो ये पूरे देश में सभी धर्मों के लोगों द्वारा मनाया जाता है, लेकिन सिख समुदाय इस पर्व को बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है।
इसे फसल की कटाई से जोडकर भी देखा जाता है। वहीं यह भी मान्यता है कि इस दिन अगर कोई अपने जीवनसाथी के साथ अग्निदेव की पूजा करता है और उनकी परिक्रमा करता है तो उनका साथ हमेशा हमेशा के अटूट बन जाता है। लोहडी के दिन लोग एक जगह एकत्रित होकर घर के बाहर या चौराहे के पास आग जलाकर उसकी पूजा करते हैं।इस बार पूजन का समय क्या होगा और किस तरह से लोहडी की पूजा की जाती है यहां जानिये।
लोहड़ी का पर्व मकर संक्रांति के पहले मनाया जाता है। यह पर्व मुख्य रूप से कृषि को समर्पित होता है। ऐसा माना जाता है कि जब फसल अच्छी होती है तब यह पर्व बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है।
शुभ महुर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, सूर्य देव 14 जनवरी को रात्रि 8 बजकर 21 मिनट पर मकर राशि में गोचर करने वाले हैं इसलिए इस साल मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाई जाएगी। वहीं लोहड़ी का पर्व इस साल 14 जनवरी, शनिवार को मनाया जाएगा।लोहड़ी का शुभ मुहूर्त रात 8 बजकर 57 मिनट पर है। इस मुहूर्त में यदि आप अग्नि प्रज्ज्वलित करते हैं और उसके चारों ओर फेरे लेते हैं तो आपके लिए शुभ होगा। लोहड़ी मुख्य रूप से नई फसल के तैयार होने की मनाया जाता है।
इसलिए मनाई जाती है लोहड़ी
लोहड़ी फसल की बुवाई और कटाई से जुड़ा एक खास पर्व है। इस अवसर पर नई फसल की पूजा की जाती है। लोहड़ी की अग्नि में रवि की फसल के तौर पर तिल, रेवड़ी, मूंगफली, गुड़ आदि चीजें अर्पित की जाती हैं। इस दिन लोग सूर्य देव और अग्नि देव को आभार व्यक्त करते है, जिससे कि फसल अच्छी उत्पन्न हो।
पूजा विधि
लोहड़ी जलाने से पहले, लोहड़ी की स्थापना होती है। पश्चिम की तरफ आदिशक्ति कि तस्वीर स्थापित की जाती है।बता दें कि लोहड़ी पर भगवान श्रीकृष्ण, आदिशक्ति और अग्निदेव तीनों की पूजा की जाती है। तीनों की पूजा करें और सरसो का दीप जलाएं।सिंदूर और बेलपत्र चढाएं। तिल या तिल से बनी खाने की चीज चढाएं।इसके बाद सूखे नारियल में कपूर डालकर इसी से लोहडी में अग्नि जलाएं। इसके बाद तिल, गुड और मूंगफली चढाएं. इसके बाद उसकी 7 बार या 11 बार परिक्रमा करें।
लोहड़ी का पर्व उन घरों के लिए और ज्यादा ख़ास हो जाता है जहां नई दुल्हन आई होती है या फिर बच्चा पैदा होता है। उन घरों में लोहड़ी पूरे परिवार के साथ मनाया जाता है।