देश में एक बार फिर से लोकसभा चुनाव के नतीजों ने मोदी लहर को साबित करने का काम किया है। भारतीय जनता पार्टी की चुनाव में 303 सीटों पर जीत हुई है,जबकि बीजेबी नीत एनडीए गठबंधन कुल मिलाकर 350 सीटों पर विजयी रही है। गुरूवार के दिन से ही सोशल मीडिया चुनाव परिणाम के रंग में रंगा हुआ है। इस समय सबसे ज्यादा चर्चा किसी की हो रही है तो वह हैं पीएम नरेंद्र मोदी जी। लेकिन इसी बीच सोशल मीडिया पर एक और नाम जमकर टें्रड कर रहा है और वह है प्रताप चंद्र सारंग का। जी हां ओडिशा के बालासोर से प्रताप चंद्र सारंग ने जीत हासिल की है। अब जनता उन्हें ओडिशा का मोदी कहकर बुला रही हैं।
सामने आई ट्विटर पर कुछ तस्वीरें
24 मई को सुलगना डैश नाम के एक यूजर ने ट्विटर पर एक पोस्ट शेयर किया है। इसमें प्रताप सारंगी की तीन फोटो हैं। इन तीनों ही तस्वीरों में वह जमीन पर बैठकर अपने कागजात और सामान ठीक करते हुए दिखाई दे रहे हैं। इस ट्विटर पोस्ट को खबर लिखे जाने तक 3600 से भी ज्यादा बार लोग रीट्वीट कर चुके हैं जबकि 7700 से अधिक लोगों ने इस पोस्ट को पसंद किया है।
ट्वीट में लिखा गया कुछ ऐसा
सुलगना अपने ट्वीट में लिखती हैं यह ओडिशा के मोदी हैं। इन्होंने शादी नहीं की है। इनकी माता जी की बीते साल मृत्यु हुई है। इनके पास ज्यादा संपत्ति नहीं है। वह एक छोटे से घर में रहते हैं और साइकिल चलाते हैं। जमीनी स्तर पर इन्हें लोगों का समर्थन है। ओडिशा के बालासोर से जीत के बाद श्री प्रताप सारंग अब दिल्ली जाने की तैयारी में लगे हुए हैं।
लोगों का कहना है जमीनी और लोगों ने जुड़ा हुआ नेता
ट्विटर पर इसके बाद देखते ही देखते प्रताप सारंगी की कई सारी फोटोज वायरल हो रही हैं। लोग उनकी तारीफे करते नहीं थक रहे हैं। कई सोशल मीडिया यूजर्स ने तो यहां तक लिख दिया कि प्रताप सारंगी को ओडिशा का मुख्यमंत्री बनना चाहिए। यूजर्स का कहना है कि सारंगी ने जमीनी स्तर पर समाजसेवा के कई सारे कार्य किए हैं और हमेशा लोगों से जुड़कर रहे हैं। धर्म और अस्था में भी प्रताप सारंगी का ध्यान है।
बीजेडी के रबिन्द्र जेना को छोड़ा पीछे
2019बता दें कि प्रताप चंद्र सारंगी ने बीजेडी के रबिन्द्र कुमार जेना को 12,956 वोटों से हराया है। बालासोर सीट से 1951, 1957 और 1962 में कांग्रेस को कामयाबी मिली थी। 1967 में यह सीट कांग्रेस के हाथ से निकली और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया को मिली। साल 1971 के चुनाव में कांग्रेस ने फिर इस सीट पर कब्जा जमा लिया। 1977 में फिर कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया यहां से जीती। इसके बाद के दो चुनावों 1980 और 1984 में यहां से कांग्रेस जीत हासिल की। 1991 और 1996 में भी इस सीट पर कांग्रेस को जीत मिली थी। 1989 में इस सीट से जनता दल को कामयाबी मिली। 1998 के चुनाव में बीजेपी यहां से पहली बार जीती और इसके बाद 1999, 2004 में उसने अपनी कामयाबी को दोहराया। 2009 में कांग्रेस के श्रीकांत कुमार जेना चुनाव जीते थे। 2014 में यहां बीजेडी के रबींद्र कुमार जेना जीते थे।
सारंगी 2014 में चुनाव हार गए थे
बता दें कि 2019 सांसद चुने जाने से पहले प्रताप चंद्र सारंगी ओडिशा के नीलगिरी विधानसभा से 2004 और 2009 में विधायक चुने जा चुके हैं। इससे पहले वो 2014 के लोकसभा चुनाव में भी खड़े हुए थे लेकिन तब वो हार गए थे। सारंगी को पीएम मोदी का करीबी माना जाता है। कहा जाता है कि मोदी जब कभी भी ओडिशा आते हैं तो वह सारंगी से जरूर मिलते हैं।
साधु- संत बनना चाहते थे
प्रताप सारंगी का जन्म नीलगिरी में गोपीनाथपुर गांव में हुआ था। 4 जनवरी 1955 को जन्मे सारंगी ने स्थानीय फकीर मोहन कॉलेज से ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की है। बचपन से ही प्रताप सारंगी काफी ज्यादा आध्यात्मिक थे। वह रामकृष्ण मठ में साधु बनना चाहते थे। इसके लिए वो मठ भी गए। लेकिन कहा कुछ यूं जाता है कि जब मठ वालों को सूचना मिली कि प्रताप सारंगी की मां विधवा है तो उन्हें मां की सेवा करने का सुझाव दिया गया।
सारंगी ने आदिवासी इलाकों में स्कूल खुलवाए
इसके बाद सारंगी गांव लौट आए जहां पर ये समाजसेवा में जुट गए । बालासोर मयूरभंज के आदिवासी इलाकों में सारंगी ने कई सारे स्कूल बनवाए हैं। साल 2014 के लोकसभा चुनाव में प्रताप सारंगी ने जब लोकसभा चुनाव में चुनावी हलफनामा दिया था। उसके हिसाब से उनकी कुल संपत्ति तकरीबन 10 लाख रुपए थी।