चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 2 अप्रैल से हुई थी और 10 अप्रैल को इसकी समाप्ति होगी। अष्टमी के दिन कन्या पूजन का खास महत्व बताया गया है।इस दिन 2 साल से 11 साल की बच्चियों की पूजा की जाती है। नवरात्रि में अष्टमी-नवमी का खास महत्व होता है। अष्टमी के दिन महागौरी और नवमी के दिन सिद्धिदात्री मां का पूजन किया जाता है। अष्टमी 9 अप्रैल को जबकि नवमी 10 अप्रैल को मनाई जाएगी।
अष्टमी कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त
चैत्र नवरात्रि की अष्टमी और नवमी के दिन कन्या पूजन किया जाता है। इस बार अष्टमी तिथि 9 अप्रैल को पड़ रही है। इसे महाष्टमी भी करते हैं। अष्टमी तिथि की शुरुआत 8 अप्रैल को रात 11 बजकर 05 मिनट से हो रही है। इसके साथ ही अष्टमी तिथि का समापन 9 अप्रैल की देर रात 1 बजकर 23 मिनट पर होगा।
इसके अलवा इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 6 बजकर 2 मिनट तक है। सुकर्मा योग दिन में 11 बजकर 25 मिनट से 11 बजकर 58 मिनट तक है। दिन का शुभ मुहूर्त 11 बजकर 58 मिनट से 12 बजकर 48 मिनट तक है।इस शुभ मुहूर्त में कन्या पूजन किया जाता है।
कन्या पूजन की विधि
शास्त्रों के मुताबिक कन्या पूजन के लिए एक दिन पहले कन्याओं को निमंत्रण दिया जाता है। कन्या को घर में पधारने पर उनके पैरों को धोना चाहिए। इसके बाद उन्हें उचित स्थान पर बैठाना चाहिए। फिर कन्याओं के माथे पर अक्षत और कुमकुम लगाना चाहिए। इसके बाद मां दुर्गा का ध्यान करके देवी रूपी कन्याओं को इच्छा अनुसार भोजन कराएं।भोजन के बाद कन्याओं को अपने सामर्थ्य के मुताबिक दक्षिणा या उपहार दें और उनके पैर छूकर उनका आशीर्वाद लें।