करवा चौथ व्रत में चांद निकलने का खास महत्व है. मान्यता है कि चंद्र दर्शन के बिना करवा चौथ का व्रत अधूरा रह जाता है।
करवा चौथ का त्योहार हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। यह त्योहार सुहागिन महिलाओं के लिए प्रेम, त्याग और समर्पण का प्रतीक माना गया है। इस त्योहार में महिलाएं सुबह से व्रत का संकल्प लेते हुए शाम को चंद्रमा के दर्शन और पूजा के बाद व्रत तोड़ती हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार हर वर्ष कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ का त्योहार मनाया जाता है। सभी सुहागिन महिलाएं किसी एक जगह एकत्रित होकर करवा चौथ व्रत की कथा सुनती हैं और रात को चांद को देखकर व्रत तोड़ती हैं।
कब मनाएं करवा चौथ 13 या 14 अक्तूबर को?
हिंदू पंचांग की गणना के अनुसार प्रत्येक वर्ष करवा चौथ का व्रत कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर मनाया जाता है। इस वर्ष कार्तिक कृष्ण पक्ष चतुर्थी तिथि 13 अक्तूबर को रात 01 बजकर 59 मिनट से शुरू हो जाएगी, जो 14 अक्तूबर को रात 03 बजकर 08 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। हिंदू धर्म में कोई भी व्रत-त्योहार उदया तिथि के आधार पर ही निर्धारित की जाती है। इस वजह से इस साल करवा चौथ का व्रत 13 अक्तूबर 2022 को ही मनाया जाएगा।
करवा चौथ पर चंद्रोदय का समय : इस बार चांद निकलने का समय लगभग शाम 08 बजकर 09 मिनट पर होगा।
करवा चौथ व्रत के दिन व्रती को चंद्रोदय के समय चंद्र देव की पूजा करने के बाद व्रत का पारण किया जाता है। इस दिन चंद्रमा तो अर्ध्य देना अनिवार्य माना गया है।
करवा चौथ पर व्रती को इसकी कथा पूरी श्रद्धा के साथ सुननी चाहिए। मान्यता है कि इस दिन बिना करवा चौथ की कथा सुने व्रत पूरा नहीं होता है। ऐसे में हर व्रती को इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए।