भारत और पाकिस्तान के बीच बंटवारे के बाद से ही सीमा संघर्ष जारी है। दोनों देशों के बीच कश्मीर को लेकर आए दिन सीमा पर गोलीबारी होती रहती है। भारत-पाक की लड़ाई आज की नहीं बल्कि सालों पुरानी है और कब तक जारी रहेगी। इसे लेकर भी कुछ कहा नहीं जा सकता है। साल 1999 में हुए कारगिल युद्ध में भारत और पाकिस्तान जंग के मैदान में एक-दूसरे के सामने थे।
पाकिस्तान की कारगिल युद्ध में हार
3 मई 1999 से 26 जुलाई 1999 तक चले इस कारगिल युद्ध में ना जाने कितने वीर जवानों ने अपनी जान की कुर्बानी दी थी। मगर 26 जुलाई 1999 को भारतीय वीर जवानों ने पाकिस्तान के कब्जे से करगिल की ऊंची चोटियों को आजाद कराया था। कारगिल की लड़ाई में कई जांबाजों ने अपने खून का आखिरी कतरा भी देश के नाम न्यौछावर कर दिया था और आज भी उनके शौर्य की कहानी देशवासियों को गर्व महसूस कराती है।
कारगिल विजय दिवस क्यों मनाया जाता है
आज देश 24वां ‘कारगिल विजय दिवस’ मनाने जा रहा है। आज का दिन उन्हीं वीर जवानों को समर्पित है, जिन्होंने तमाम परेशानियों का सामना करके 26 जुलाई, 1999 को कारगिल की दुर्गम चोटियों पर भारत का तिरंगा झंडा फहराया था। आज के दिन ही भारत के वीर सपूतों ने पाकिस्तानी सैनिकों को कारगिल से खदेड़ा था इसलिए आज के दिन को ‘कारगिल विजय दिवस’ के रूप में हर साल मनाया जाता है।
करगिल युद्ध का इतिहास
भारत पाक ने शांतिपूर्ण समाधान का वादा करते हुए फरवरी 1999 में हस्ताक्षर किए। मगर इसके बावजूद एलओसी के पार भारतीय क्षेत्र में पाकिस्तानी घुसपैठ होती रही। पाकिस्तानी सेना ने कारगिल की ऊंची चोटियों पर कब्जा कर लिया था, इसी के बदले में भारतीय सेना ने “ऑपरेशन विजय” को अंजाम दिया था। 60 दिनों तक चली इस जंग में 2 लाख भारतीय सैनिकों ने हिस्सा लिया था।