15 या 16 जुलाई: आखिर कब है सावन की शिवरात्रि? कावड़ लाने वाले ऐसे करें जलाभिषेक - Punjab Kesari
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15 या 16 जुलाई: आखिर कब है सावन की शिवरात्रि? कावड़ लाने वाले ऐसे करें जलाभिषेक

एक वर्ष में 12 शिवरात्रि होती है जो प्रत्येक महीनें में आती है परन्तु सावन की शिवरात्रि विशेष

एक वर्ष में 12 शिवरात्रि होती है जो प्रत्येक महीनें में आती है परन्तु सावन की शिवरात्रि विशेष होती है। भगवान शिव को सावन का महीना अति प्रिय होता है। शिव भक्त पूरे वर्ष अर्थात् मासिक शिवरात्रि का व्रत करते है परन्तु जो प्रत्येक मासिक शिवरात्रि का व्रत नहीं कर पाता तो वह सावन की शिवरात्रि का व्रत आवश्य करना चाहिए।
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सावन के महीने में शिवभक्त कांवड़ लेकर आते हैं और शिवरात्रि के दिन उस कांवड़ के गंगाजल से भोलेनाथ का अभिषेक करते हैं।
सावन शिवरात्रि 15 जुलाई 2023 को है।शिवरात्रि तिथि को शिव-पार्वती जी का विवाह हुआ था, यही वजह है कि हर माह के चतुर्दशी तिथि पर मासिक शिवरात्रि का व्रत बहुत महत्वपूण माना जाता है। वैसे तो हर महीने की मासिक शिवरात्रि खास है लेकिन सावन में आने वाली शिवरात्रि सबसे अधिक फलदायी होती है।
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शिवभक्तों के लिए सावन का महीना बहुत अहम होता है और इस पूरे माह भगवान शिव की अराधना की जाती है। भोलेनाथ का आशीर्वाद पाने के लिए शिवभक्त इस माह कांवड़ यात्रा पर जाते हैं और कांवड़ के जरिए हरिद्वार से पदयात्रा करते हुए गंगाजल लेकर आते हैं। इसके बाद सावन माह की शिवरात्रि के दिन पवित्र गंगाजल से शिवलिंग का अभिषेक किया जाता है।इसलिए सावन की शिवरात्रि का विशेष महत्व माना गया है।
 सावन की पहली शिवरात्रि 15 जुलाई दिन शनिवार को पड़ेगी। पूजा का सबसे शुभ मुहूर्त 15 जुलाई की रात 11:21 PM से देर रात 12:04 AM तक रहेगा। जानिए शिवरात्रि पूजा के अन्य शुभ मुहूर्त…
रात्रि प्रथम प्रहर पूजा समय – 06:24 PM से 09:03 PM
रात्रि द्वितीय प्रहर पूजा समय – 09:03 PM से 11:43 PM
रात्रि तृतीय प्रहर पूजा समय – 11:43 PM से 02:22 AM, जुलाई 16
रात्रि चतुर्थ प्रहर पूजा समय – 02:22 AM से 05:01 AM, जुलाई 16
16 जुलाई को शिवरात्रि व्रत पारण समय – 05:01 AM से 03:03 PM
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जलाभिषेक की सही विधि: जब भी भगवान शिव की पूजा करें तो शिवलिंग पर गंगाजल, साफ पानी या फिर गाय के दूध से अभिषेक करें।य​ह रुद्राभिषेक से अलग है क्योंकि यह नियमित पूजा से जुड़ा है, जबकि रूद्राभिषेक एक लंबी प्रक्रिया है। शिवलिंग का जलाभिषेक करते समय इस बात का ध्यान रखें कि जलधारा पतली और धीमी गति के साथ गिरे।तीव्र गति के साथ जलाभिषेक न करें।
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जलाभिषेक हमेशा पूर्व दिशा की ओर मुख करके ही करें। साथ ही इस बात का भी ध्यान रखें कि शिवलिंग का जलाभिषेक बैठकर या झुककर करें। सीधे खड़े होकर जलाभिषेक नहीं करना चाहिए।

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