आज देश 77वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने लाल किले की प्राचीर से लगातार 10वीं बार तिरंगा फहराया है। देश के सभी लोग इस राष्ट्रीय पर्व को मना रहे है, लेकिन आपके मन में कभी ये सवाल आया है कि क्यों हर प्रधानमंत्री लाल किला से ही क्यों झंडा फहराते है या देश को संबोधित करते है। आज की इस खबर में हम आपको बताने वाले इस की हर साल ऐसा क्यों होता है।
देश की परंपरा बन गई
देश की राजधानी दिल्ली में पड़ने वाले लाल किला को ही आजादी के बाद झंडा फहराने के लिए चुना जाना है क्योंकि यह इमारत अपने आप में भारत के सबसे पुराने इतिहास को बताता है और इसी वजह के कारण देश के सबसे पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने लाल किला के प्राचीन से तिरंगा फहराकर देश को संबोधित किया था इसके बाद यह परंपरा बन गई।
लाल किला का इतिहास
लाल किला भारत के उन इमारतों में गिना जाता है जिनका एक अपना इतिहास है जिनका एक अपना बीता हुआ कल है। सन 1638 में मुगल बादशाह शाहजहां ने लाल किला का निर्माण करवाया था उसे समय भारत की राजधानी आगरा से दिल्ली बदली गई थी और उसके बाद लगभग पीएम मुगल काल का एक जीत जाता केंद्र बना रहा, लेकिन समय ने सब कुछ बदल दिया और मुगलों का अंत अंग्रेजों के आने की वजह से हो गया।
मुगलों और अग्रेजों का केंद्र
लाल किला भारत की राजधानी दिल्ली का एकमात्र ऐसा किला है जिसमें मुगलों के शासन को और अंग्रेजों के हुकूमतो को देखा है इन्हीं तथ्यों को रखकर लाल किला को झंडा फहराने के लिए चुना गया क्योंकि भारतीय इतिहास का एक जीता जागता केंद्र रहा है, इस इमारत ने न सिर्फ मुगलों को बल्कि अग्रेजों को बह अच्छे से देखा है और यहीं वजह है कि लाल किला ही सबसे पहले स्थान पर स्वतंत्रता मिलने के बाद झंडा फहराते है।
पहली बार झंडा फहराया
भारत के विभाजन होने के बाद और देश के आजाद होने के बाद पहली बार 15 अगस्त 1947 को पंडित जवाहरलाल नेहरू ने इस जगह से झंडा फहराया था हालांकि इसको लेकर कहते हैं कि उन्होंने 15 अगस्त नहीं 16 अगस्त 1947 को झंडा फहराया था। इस बात पर भी सबके अपने-अपने राय है।