हिंदु धर्म में शंख का काफी ज्यादा महत्व होता है। मुख्य रूप से शंख समुद्री जीव का ढांचा होता है। ऐसा माना जाता है कि शंख की उत्पत्ति समुद्र से हुई है और कई सारे लोग का कहना तो यह भी है कि ये लक्ष्मी जी का भाई है। कहा जाता है कि जिस जगह शंख होता है वहां पर लक्ष्मी जरूर होती हैं। तभी मंगल कार्यो के दौरान शंख बजाना शुभ होता है। घर में पूजा के वक्त वेदी पर शंख की स्थापना करी जाती है। शंख को दीपावली,होली,नवरात्रि,आदि शुभ मुहूर्त में स्थापित किया जाना चाहिए।
वैज्ञानिक रूप से शंख का महत्व
1.विज्ञान के मुताबिक शंख की आवाज जरूरी होती है।
2.वैज्ञानिक के मुताबिक शंख-ध्वानि से वातावरण का परिष्कार होता है।
3.शंख की ध्वानि से कीटाणुओं का नाश होता है।
4.शंख के अंदर चूने का पानी भरकर पीने से कैल्शियम की कमी दूर हो जाती है।
5.शंख बजाने से ह्दय रोग की परेशानियों का खत्मा हो जाता है।
6.शंख बजाने से वाणी दोष से मुक्ति मिल जाती है।
कितने प्रकार के होते हैं शंख
बता दें कि शंख कई प्रकार के होते हैं और सभी प्रकार के शंखों की विशेषता और पूजन-पद्घति अलग है। वैसे शंख की आकृति के आधार पर ये तीन प्रकार के होते हैं। दक्षिणावृत्ति शंख,मध्यावृत्ति शंख तथा वामावृत्ति शंख।
सामान्य रूप से कैसे करें शंख का प्रयोग
1.सफेद रंग का शंख लाएं।
2.इसको गंगाजल और दूध से धोएं।
3.इसके बाद इसे गुलाबी कपड़े में लपेट कर इसकी पूजा वाली जगह पर रखें।
4.सुबह के समय पूजा करते समय इसे तीन बार बजाएं।
5.बजाने के बाद इसको वहीं धोकर रख दें।
शंख का प्रयोग करते समय रखें ये सावधानियां
1.शंख का इस्तेमाल करके भी उसे किसी वस्त्र या आसन पर ही रखें।
2.केवल सुबह के समय यानि संध्या काल में ही शंख बजाएं,हर समय शंख न बजाएं।
3.शंख का इस्तेेमाल करने के बाद धोकर ही रखें,किसी दूसरे को न अपना शंख दे और ना ही दूसरे व्यक्ति का शंख प्रयोग करे।