हिन्दू संस्कारों में अभिवादन की परंपरा पायी जाती है। अभिवादन के कई तरीके भी हैं। हाथ जोड़कर प्रणाम करना, और चरण स्पर्श करना अभिवादन ही है।अपनों से बड़े और सम्मानीय लोगों के चरण स्पर्श करना यानी पैर छूना हिंदू धर्म की सदियों पुरानी परंपरा रही है। शास्त्रों के अनुसार भगवान श्रीराम नित्यप्रति सुबह उठकर सबसे पहले माता-पिता के चरणों में सिर झुकाकर आशीर्वाद प्राप्त करते थे।भगवान गणेश भी देवताओं में प्रथम पूज्य अपने माता-पिता के आशीर्वाद से ही बने।
सही तरीके से चरण स्पर्श करके अद्भुत लाभ हो सकते हैं।इससे भाग्य बेहतर हो सकता है, संकट मिट सकते हैं और ईश्वर की अनुभूति हो सकती है ।
चरण स्पर्श से लाभ
यदि आप किसी विशेष लक्ष्य की प्राप्ति हेतु घर से निकल रहे हैं तो चरण स्पर्श करने से उस लक्ष्य को पाने का बल मिलता है,मन को शान्ति मिलती है।अपने से बड़ों का आशीर्वाद सुरक्षा कवच का कार्य करता है जिससे सोच सकारात्मक हो जाती है।ये सब चीज़ें पैर छूने वाले व्यक्ति को सफलता के नज़दीक ले जाती है।चरण स्पर्श करने से अमुक व्यक्ति की शारीरिक कसरत भी होती है।झुककर पैर छूने, घुटने के बल बैठकर या साष्टांग दण्डवत करने से शरीर लचीला होता है।साथ ही आगे की ओर झुकने से सिर में रक्त का संचार बढ़ता है जो सेहत के लिए फायदेमंद है ।
सही तरीका
पैर छूते समय यदि बाएं हाथ से बाएं पैर और दाएं हाथ से दाएं पैर का स्पर्श किया जाए तो सजातीय ऊर्जा का प्रवेश सजातीय अंग से तेज़ी से पूर्ण होता है । अगर इसके विपरीत किया जाए तो ऊर्जा के प्रवाह में रुकावट उत्पन्न हो जाएगी ।
श्मशान से लौटते हुए व्यक्ति के
श्मशान से लौटते हुए व्यक्ति को प्रणाम करना वर्जित माना गया है। इसका कारण मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक है। श्मशान से लौटते समय व्यक्ति की मनोदशा सामान्य से अलग होती है। उस स्थिति में वह हृदय और मन से व्यथित और अस्थिर भी होता है। काफी हद तक उसका सांसारिक मोह से उस समय भंग हो चुका होता है। ऐसे में वह खुश होकर आशीर्वाद नहीं दे पाता है।
सोते हुए व्यक्ति के
चरण स्पर्श करने का भी विधान है। ऐसे व्यक्ति के चरण स्पर्श नहीं करने चाहिए, जो सो रहा हो। ऐसा करना वर्जित माना गया है। क्योंकि हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, लेटे हुए व्यक्ति के पैर केवल एक ही स्थिति में स्पर्श किए जा सकते हैं, जब उसकी मृत्यु हो चुकी हो। ऐसे में सोए हुए व्यक्ति के पैर छूना पाप करने के समान है।
मंदिर के अंदर रहने वाले व्यक्ति के
मंदिर में मिलने वाले व्यक्ति के कभी भी पैर ना छुएं। क्योंकि मंदिर में भगवान के आगे कोई भी व्यक्ति श्रेष्ठ नहीं होता,इसलिए मंदिर में मिलने वाले व्यक्ति के कभी भी पैर ना छुएं।