मृत्यू निश्चित है, यह पल संसार में सत्य है। मृत्यु को न तो बदला जा सकता है, और न ही टाला जा सकता हैं।अगर आपने धरती पर जन्म लिया है तो आपकी मृत्यु भी निश्चित है। कहते हैं कि जिस दिन हम जन्म लेते हैं उसी दिन हमारी मृत्यु की तिथि भी निश्चित हो जाती है।ऐसा कोई भी जीव नहीं है जो अमर हो और जीवन एवं मृत्यु के बंधन से मुक्त हो।
हर धर्म के लोगों में मृत्यु के बाद शवयात्रा निकाली जाती है और ये एक पारंपरिक प्रथा है जो सदियों से चली आ रही है। अकाल मृत्यु हो या फिर व्यक्ति अपनी आयु से मृत्यु को प्राप्त हो, शवयात्रा को जरूर निकाली जाती है और कहा जाता है कि इससे आत्मा को शांति मिलती है।
मरने के बाद मृत् व्यक्ति के परिजन ,रिश्तेदार यहां तक कि आस-पास के लोग ,पड़ोसी मित्रगण सभी मरने वाले की शव यात्रा में शामिल होते हैं। हर कोई सोचता है कि ये उसकी अंतिम यात्रा है और इस में शामिल होना धर्म और कर्म दोनों हैं। पर कई बार इस शव यात्रा में शामिल होने पर लोग कुछ गलतियां कर देते हैं जिनका भुगतान आगे भुगतना पड़ता हैं।
आइए जानते शव यात्रा में जाए तो कौन सी गलती ना करें।
सबसे पहले तो अगर आपको कहीं शवयात्रा दिखाई पड़ती है तो उसे गलती से भी अनदेखा ना करें। उस समय वहां रूक जाएं और अपने दोनों हाथों को जोड़कर प्रणाम करें। जिस भगवान या देवी-देवता को आप मानते हैं उनका नाम स्मरण करें। कहा जाता है कि शवयात्रा को देखकर शिव का नाम लेना चाहिए। इससे आपका दिन शुभ रहता है।
कहा जाता है किसी दूसरे की शवयात्र में जाने वाले को 1 दिन का, मुर्दे के छूने वाले को 3 दिन तथा मुर्दे को कंधा देना वाले को 8 दिन तक अशुद्धा समझा जाता है।
शमशान घाट से वापस आकर कभी भी पीछे पलट कर नहीं देखना चाहिए, साथ ही शमशान घाट से कभी भी सीधा घर नहीं जाना चाहिए।रास्ते में यदि नीम का पेड़दिखाई दे तो नीम का पत्ता अपने मुंह में जरुर चबाना चाहिए। घर जाकर सबसे पहले बिना किसी से मिले स्नान करना चाहिए।