प्रत्येक वर्ष मकर संक्रांति से एक दिन पहले लोहड़ी मनाई जाती है। जब सूर्य धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तो उस दिन संक्रांति मनाई जाती है। इस बार 15 जनवरी को मकर संक्रांति पड़ रही है। इसलिए लोहड़ी 14 जनवरी को मनाई जाएगी। हालांकि कुछ लोग हर साल 13 जनवरी को ही लोहड़ी मनाते है।
इस त्योहार में शाम के वक्त अग्नि जलाकर उसके चारों ओर परिक्रमा करते हैं और नए धान के साथ ही खील, मक्का, गुड़, रेवड़ी और मूंगफली अग्नि में अर्पित करते हैं।वहीं, सिख लोग फसल पकने की खुशी में लोहड़ी का पर्व मनाते हैं। ऐसे में आप दिन के वक्त गुरुद्वारे में मत्था टेकने भी जा सकते हैं। लोहड़ी के मौके पर देश के प्रसिद्ध गुरुद्वारे में सेवा के लिए जाएं। आप इन भव्य गुरुद्वारों में जा सकते हैं। यहां देश के कुछ प्रसिद्ध और भव्य गुरुद्वारों के बारे में बताया जा रहा है।
गुरुद्वारा हरमंदिर साहिब सिंह, अमृतसर
पंजाब के अमृतसर शहर में स्वर्ण मंदिर यानी गुरुद्वारा हरमंदिर साहिब सिंह में आप माथा टेकने के लिए जा सकते हैं और सेवा कर सकते हैं। कहते हैं कि इस गुरुद्वारे को बचाने के लिए महाराजा रणजीत सिंह ने गुरुद्वारे का ऊपरी हिस्सा सोने से ढक दिया था। इसी कारण इसे स्वर्ण मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।
तख्त श्री दमदमा साहिब, पंजाब
तख्त श्री दमदमा साहिब सिखों के पांच पवित्रों तख्तों में से एक है। तख्त श्री दमदमा साहिब का इतिहास अन्य गुरुद्वारों की ही तरह बेहद गौरवान्वित करने वाला और रोचक है। बता दें, इस स्थान पर गुरु गोबिंद सिंह जी ने तलवंडी साहू से जंग के बाद आराम किया था।
गुरुद्वारा श्री हरमंदिर जी, पटना
बिहार की राजधानी पटना में सिखों के पांच पवित्र तख्तों में से एक है। इस गुरुद्वारे को महाराजा रणजीत सिंह ने बनवाया था। आप यहां भी दिन के समय माथा टेकने जा सकते है और सेवा प्रदान कर सकते हैं।
गुरुद्वारा शीशगंज, दिल्ली
पुरानी दिल्ली के शीशगंज में ऐतिहासिक गुरुद्वारा है, यह गुरुद्वारा काफी प्रसिद्ध है। बता दें, यह स्थान 9वीं पातशाही गुरु तेग बहादुर जी से जुड़ा है।
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