गुरु पूजने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। कहा भी जाता है गुरु बिना ज्ञान कहां। हिन्दू धम में गुरु को बहुत मान और सम्मान दिया जाता है।आषाढ़ के महीने में आने वाली पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा कहा जाता है। ऐसी मान्यताएं हैं कि इस दिन वेदों के रचयिता महर्षि वेद व्यास का जन्म हुआ था। उन्हें चारों वेदों का ज्ञान था। इसी कारण इसी तिथि को वेद व्यास जयंती मनाई जाती है।
इस दिन वेद व्यास की पूजा की जाती है। महर्षि वेद व्यास जी ने ही पहली बार मानव जाति को चारों वेदों का ज्ञान कराया था। वेद व्यास जी को भगवान विष्णु का अंशावतार भी माना जाता है इसलिए गुरु पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु की पूजा भी की जाती है। इसके अलावा इस दिन लोग अपने-अपने गुरुओं की पूजा और सम्मान भी करते हैं।
गुरु पूर्णिमा 13 जुलाई 2022 को मनाई जाएगी। ज्योतिषि की मानें तो इस साल गुरु पूर्णिमा इसलिए भी खास है, क्योंकि इस दिन 4 राज योग बन रहे हैं।इस दिन गुरु, मंगल, बुध और शनि शुभ स्थिति में रहेंगे। ग्रहों की विशेष स्थिति से रुचक, हंस, शश और भद्र योग का निर्माण होगा।
गुरु पूर्णिमा शुभ मुहूर्त, पूजा विधि
हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि 13 जुलाई की सुबह 04:00 बजे से शुरू होगी और 13 जुलाई की देर रात 12:06 बजे तक रहेगी। इस तरह पूरे दिन गुरु की पूजा करने, ज्योतिषीय उपाय करने के लिए शुभ मुहूर्त रहेगा।
गुरु पूर्णिमा के दिन सुबह जल्दी स्नान करके साफ कपड़े पहनें। घर के मंदिर में ही देवी-देवताओं की पूजा करें। भगवान विष्णु और वेद व्यास जी की पूजा जरूर करें। इसके साथ अपने गुरु का आर्शीवाद जरुर लें।
जीवन का उद्देश्य और लक्ष्य प्राप्ति का मार्ग भी गुरुदेव ही बताते हैं। इसलिए गुरु पूर्णिमा पर गुरु पूजन का विशेष महत्व बताया गया है।