Guru Gobind Singh Jayanti Wishes: हर साल पौष महीने के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को सिख धर्म के दसवें और अंतिम गुरु गोविंद सिंह जी की जयंती मनाई जाती है। सिख धर्म में इस दिन को काफी धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन को प्रकाश पर्व के नाम से भी जाना जाता है। इस साल सिख धर्म का यह खास त्योहार 6 जनवरी यानी आज के दिन मनाया जा रहा है। यह खास दिन गुरु गोबिंद सिंह जी के संघर्ष, त्याग, बलिदान और शिक्षाओं को याद दिलाता है।
कौन थे गुरु गोबिंद सिंह?
गुरु गोबिंद सिंह जी का जन्म 22 दिसंबर 1666 को बिहार के पटना में हुआ था। मात्र दस साल की उम्र में उन्होंने गुरु की गद्दी संभाली और सिख धर्म के दसवें और अंतिम गुरु बनें। गुरु गोविंद सिंह जी ने 1699 में खालसा पंथ की स्थापना की और इस दौरान सिखों को पांच ककार केश, कड़ा, कृपाण, कच्छा और कंघा धारण करने को कहा था।
गुरु गोबिंद सिंह के चार साहिबजादे
धर्म और इंसानियत की रक्षा करने के लिए गुरु गोबिंद सिंह ने अपने चार साहिबजादों का बलिदान दे दिया था। इन चार साहिबजादों के नाम थे- अजीत सिंह, फतेह सिंह, जुझार सिंह और जोरावर सिंह।
कैसे मनाया जाता है ये त्योहार?
गुरु गोबिंद सिंह जयंती पर सुबह भक्तों का समूह ‘वाहेगुरु’ का जाप और शबद-कीर्तन के साथ नगर कीर्तन निकालते हैं। इस दिन हर गुरुद्वारे में गुरु ग्रंथ साहिब का पाठ किया जाता है और गुरु गोबिंद सिंह जी के उपदेशों पर आधारित शबद गाए जाते हैं। इसके अलावा गुरुद्वारों में लंगर का आयोजन होता है।
गुरु गोबिंद सिंह की 5 शिक्षाएं
1. अन्याय और अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाना
2. सभी मनुष्यों के साथ एक जैसा व्यवहार करना और जातिवाद के विरोध रहना
3. अपना समस्त जीवन लोगों की सेवा के लेए समर्पित करना
4. अपनी वाणी में मधुरता का संचार करना और दूसरों की निंदा न करना
5. एक आदर्श इंसान बनना, चोरी और ठगी से दूर रहना। अपनी कमाई का दसवां हिस्सा दान करना