2050 तक खत्म हो जाएंगी मछलियां, मट्टी का नहीं बल्कि प्लास्टिक का देखने को मिलेगा टापू - Punjab Kesari
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2050 तक खत्म हो जाएंगी मछलियां, मट्टी का नहीं बल्कि प्लास्टिक का देखने को मिलेगा टापू

ऑस्ट्रेलिया की पर्यावरण मंत्री तान्या प्लीबर्स्क ने पर्यावरण में हो रहे बदलावों पर दुनिया का ध्यान एकत्रित किया

आज हम बाजार जाते हैं और जो खरीदना हो खरीद ले आते हैं उसके बदले में जब दूकानदार हमसे थैले के लिए पूछा तो हम प्लास्टिक का पॉलीबेग मांग लेते हैं। लेकिन क्या हम जानते हैं कि धीरे-धीरे हमारी ज़िन्दगी में इसका प्रयोग कितना ज़्यादा बढ़ता जा रहा हैं और आने वाले समय में इसका क्या परिणाम होने वाला हैं। 
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घर आने के बाद इन प्लास्टिक को आप कचरे में फेंक देते हैं। आपके लिए तो वो कचरा वहीं खत्म हो जाता है। लेकिन यहां से शुरू होती है धरती की बर्बादी, जी हां, आज के समय में पर्यावरण को प्रदूषण और कचरे से सबसे ज्यादा नुकसान हो रहा है खासकर प्लास्टिक से।
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कई बार भारत सरकार ने प्लास्टिक पर रोक लगाईं है। हर बार जब नोटिस जारी होता है, तब कुछ दिनों के लिए दुकानदार प्लास्टिक का इस्तेमाल रोक देते हैं। लेकिन फिर जैसे ही मामला ठंडा होता है, इसका इस्तेमाल धड़ल्ले से होने लगता है। ऐसा सिर्फ भारत में नहीं है, दुनिया के सारे देशों आज के समय में मुसीबत का कारण बन चुकी है। हम तो अपने इस्तेमाल के बाद इन्हें फेंक देते हैं। लेकिन पर्यावरण में ये कई सालों तक तबाही मचाती है। हाल ही में ऑस्ट्रेलिया की पर्यावरण मंत्री ने इसके खौफनाक अंजाम दुनिया से रूबरू करवाए हैं। 
2040 का करें इंतजार फिर देखे परिणाम 
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तान्या के मुताबिक़, जिस स्पीड से प्लास्टिक को समुद्र में फेंका जा रहा है उससे आने अवले साल 2040 तक एक बड़ा सा टापू बन जाएगा। इसका साइज फ्रांस जैसे देश से कई गुना बड़ा होगा। ग्रेट पैसिफिक ओशन में प्लास्टिक का अंबार लगा है। कई देश अपने यहां का कचरा इसके पानी में डंप कर देते हैं। एक बार भी समुद्र में रहने वाले जीवों के बारे में नहीं सोचा जाता। प्लास्टिक कभी गलता नहीं है। ऐसे में इन्हें खाने के बाद समुद्री जीव कई बीमारियों से ग्रसित होकर मारे जाते हैं।
2050 तक खत्म हो जाएंगी मछलियां
तान्या ने आगे बताया कि 2040 तक प्लास्टिक का इस्तेमाल तीन गुना और बढ़ जाएगा। इसका नतीजा होगा कि अगले दस साल बाद समुद्र से मछलियां खत्म हो जाएंगी। पर्यावरण पर भी इसका काफी नेगेटिव असर पड़ेगा। इस समय पैसिफिक ओशन में करीब 6 लाख स्क्वयार मील का कचरा मौजूद है। इससे समुद्र के इकोसिस्टम पर बुरा असर पड़ता है. कई समुद्री पक्षी इन्हें खाकर बीमार हो जाते हैं या मर जाते हैं। प्लास्टिक के अलावा बोतल के ढक्कन, कपड़ों के टुकड़े और पेन की लीड शामिल है। ऐसे में हमें ही समझदारी से पर्यावरण के लिए, ना कि चालान के डर से प्लास्टिक का इस्तेमाल बंद कर देना चाहिए।

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