लखनऊ एक ऐसा शहर हैं जहा की बोली हो या हो खाना इसे नवाबो का शहर बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ता हैं। यहां कि बोली में तहज़ीब हैं तो यह के खाने में रौब और शाही पन जो भी यहां आता हैं बस यही की बोली का दीवाना हो जाता हैं। लखनऊ आखिर शहर ही ऐसा हैं जो आएगा यही का दीवाना होकर रह जायेगा इसलिए तो कहते हैं आइये एक बार नवाबो के शहर में।
लखनऊ के आखिरी नवाब वाजिद अली शाह के शासन के बाद यहां अंग्रेजों का शासन होने शुरू हो गया था। उसके बाद से यह का पहनावा बोली अंग्रेज़ो ने काफी बदलने की कोशिश भी की। लेकिन कई नवाबो का वक्त उनका और ऐसा था की जब लखनऊ में खूब पैसा हुआ करता था तो नवाबों के पास भी बेहिसाब दौलत थी। कीमती ज़ेवर से लेकर सोने के सिक्को तक उनके ठाठ-बाट में कोई कस्र नहीं थी।
जिससे उन्होंने लखनऊ को सजाया और संवारा भी। आज भी लखनऊ में कई ऐसे लोग हैं जिनके पास नवाबों के वक्त का सामान मौजूद है जिनकी कीमत और एहमियत आज के समय में कई उप्पर हैं। इन्हीं लोगों में से एक थे नवाब मीर अब्दुल्ला जिनका निधन हो गया। इसी बीच लखनऊ में एक व्यापारी हैं जिनका नाम है विनोद ‘माहेश्वरी’। इनके पास नवाबों के वक्त के तीन अहम गहने हैं जो आज के वक्त में किसी के पास देखने के लिए मिलना तक मुश्किल हैं।
अब बात करते हैं इस बेशकीमती गहनों के मालिक का व्यापारी का कहना है कि, ”इन गहनों को उन्होंने कभी भी किसी को नहीं दिखाया, लेकिन लोकल18 को दिखाने से वह खुद को रोक नहीं पाए. उन्होंने बताया कि उनके पूर्वजों ने उन्हें नवाबों के वक्त के तीन गहने सौंपे थे. वर्तमान में ज्यादातर तो खराब हो गए हैं, लेकिन हाथों में पहनने वाले दो ब्रेसलेट और गले में पहनने वाला एक हार उनके पास सही सलामत बचा हुआ है.”
बेहद वज़नदार हैं ये ज़ेवर
लखनऊ के व्यापारी विनोद माहेश्वरी के पास मौजूद ये गहने देखने में जितने खूबसूरत और बेशकीमती हैं, उससे भी कई गुना इनका वजन इनकी खासियत हैं। यही नहीं इन पर बेहद सुंदर आकृतियां बनाई गई हैं जो उस समय की छाप छोड़ती हैं। खासतौर पर गले का जो हार यहां पर मौजूद है, उसे नवाबों के वक्त पर बेगमें पहन कर अपनी सुंदरता में चार-चाँद लगाया आकृति थी। इसमें मटर के आकार के चांदी की मोतियां लगी हुई हैं, जबकि उसका पेंडेंट पूरा चांदी का है। यही नहीं विनोद महेश्वरी बताते हैं कि उनके पास कई बार लोग आए और इन्हें खरीदने का मन बनाया, लेकिन उन्होंने इन गहनों को बेचना तो दूर किसी की आँखों तक में पड़ने नहीं दिया। वह कहते हैं कि अगर आज की डेट पर इन गहनों को बेचा जाए तो इनकी कीमत लाखों में आएगी।
नवाब हो या बेगम दोनों के हाथ में सजता था ये ब्रेसलेट
साथ ही विनोद महेश्वरी के पास दो मोटे ब्रेसलेट भी मौजूद हैं, जिसे नवाबों के वक्त में बेगमों के साथ ही अवध के नवाब भी पहनना पसंद करते थे। इन गहनों का भी वजन अधिक है। ये देखने में बेहद खूबसूरत हैं और आज के जमाने में ऐसे खूबसूरत गहने देखने के लिए कहीं पर भी नहीं मिलेंगे, इसलिए विनोद माहेश्वरी ने बताया कि वह इन गहनों को किसी को भी नहीं बेचेंगे और पूर्वजों की दी गई है निशानी हमेशा अपने पास रखेंगे।