बिहार राज्य में ऐसी टाउनशिप गौशाला चौक पर मिल जाएगी, जहां न तो बिजली है और न ही पैदल चलने का रास्ता। 60 वर्षीय मो. मुस्तकीम बस्ती में रहते हैं। मुस्तकीम के मुताबिक, यह इलाका तीन से चार पीढ़ियों से बसा हुआ है।
इसके बावजूद, दैनिक जीवन के लिए जो आवश्यकताएं मौजूद होनी चाहिए उनमें से कोई भी मौजूद नहीं है। हर कोई अंधेरे में है। हल्की सी बारिश के बाद स्थिति इतनी खराब हो जाती है कि कोई अपने घर से भी नहीं निकल पाता है। घर तक जाने के लिए सड़क की व्यवस्था नहीं होना इसका सबसे बड़ा कारण हैं।
मोबाइल फोन चार्जिंग के लिए देने होते हैं 10 रुपये
बस्ती के युवा इरफान ने दावा किया कि वह किसी भी सरकारी कार्यक्रम का लाभार्थी नहीं है। रहने के लिए कोई मजबूत घर भी नहीं मिलता। झोपड़ी में सब लोग रहते हैं। उन्होंने अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि, आज की दुनिया में मोबाइल टेक्नोलॉजी का काफी महत्व हो गया है। लेकिन इस जगह पर बिजली नहीं होने के कारण लोगों को अपने फोन चार्ज करने के लिए कहीं और दूसरे मोहल्ले जाना पड़ता है।
तब कहीं जाकर फोन को चार्ज किया जा सकता है। फोन चार्ज करने के लिए हर दिन दस रुपये चुकाने होंगे। स्थानीय महिला ने भी बिजली नहीं होने के कारण मोमबत्ती का सहारा लेने की बात भी बताई हैं। इसमें डर रहता है कि जरा सी चूक हुई तो कोई अनहोनी हो सकती है। ग्रामीण क्षेत्रों से लकड़ी को लाया जाता है और भोजन पकाने के लिए उपयोग किया जाता है।
जानकी स्थान के जमीन पर निवास करते हैं लोग
तस्लीम ने कहा कि बचपन से जवानी निकल गयी हैं और अब बुढ़ापा गुजर रहा हैं। हमें अब यह उम्मीद नहीं रह गई है कि पास में सड़क बनाई जाएगी और कभी यहां इस जगह बिजली आएगी। उन्होंने कहा कि लोग सार्वजनिक शौचालय का भी उपयोग करते हैं। महंत की जमीन पर सभी लोग निवास करते हैं।
जानकी स्थान के महंत ने उनके पूर्वजों को तीन-चार पीढ़ी पहले बसने के लिए जमीन दी थी. अभी सभी लोग उसी दी हुई जमीन पर रह रहे हैं। राजनेता केवल चुनाव के दौरान हम पर ध्यान देते हैं और जीतने के बाद हमें नजरअंदाज कर देते हैं। यहां रहने वाले हर व्यक्ति के पास एक आईडी कार्ड है। मतदाता एवं आधार कार्ड बनाने का काम पूरा हो गया है। लेकिन फिर भी यहां सरकारी कार्यक्रमों का लाभ अब भी नहीं मिल पा रहा है.