ठेले पर सड़क किनारे फल बेचने वाले का बेटा बना DSP, पढ़िए Arvind Sonkar के संघर्ष की कहानी - Punjab Kesari
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ठेले पर सड़क किनारे फल बेचने वाले का बेटा बना DSP, पढ़िए Arvind Sonkar के संघर्ष की कहानी

पिता गोरख सोनकर सड़क के किनारे फल का ठेला लगाते हैं। उनके बेटे अरविंद यूपी पीएससी 2022 की

वो कहते है ना जब कुछ करने का मन बना लो तो कोई भी परेशानी रास्ते में बाधा नहीं बनती है। ऐसा ही कुछ उत्तर प्रदेश के मऊ जनपद के रहने वाले अरविंद सोनकर ने करके दिखाया है। आज हम आपको  यूपी लोक सेवा आयोग की कठिन परीक्षा पास करके डीएसपी बने अरविदं सोनकर की सक्सेस के पीछे कहानी बताने जा रहे हैं।
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अरविंद की सफलता की कहानी इसलिए भी मायने रखती है क्योंकि उनका डीएसपी बनने का ये सफर काफी मुश्किलों भरा रहा है। अरविंद नसोपुर गांव के रहने वाले हैं और उनके पिता गोरख सोनकर सड़क किनारे फल बेचकर अपने परिवार का गुजारा करते थे। ऐसे में एक फल बेचने वाले के बेटे का यूपी लोक सेवा आयोग में 86वीं रैंक हासिल करना अपने आप में एक बड़ी बात है।
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बेहद गरीबी और तंगी हालात में पले बढ़े होनहार अरविंद सोनकर की कामयाबी के पीछे उनकी लगन के साथ साथ पूरे परिवार की मेहनत और अथक परिश्रम शामिल है। अरविंद की फैमली में 5 बहनें और दो भाई हैं। उनकी तीनों बहनों की शादी हो चुकी है और एक बहन इलाहाबाद में पढ़ाई कर रही है। अभी दो महीने पहले अरविंद की मां का देहांत हुआ था और कुछ दिनों बाद ही उनके पिता को लकवा मार गया।
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ऐसें में उनके परिवार के परिवार का गुजारा चलाना और अरविंद की पढ़ाई का खर्च चलाना बहुत मुश्किल हो गया था। मगर ऐसे में उनके मामा ने आकर उनके पापा का ठेला संभाला और अपनी बहन के परिवार की परवरिश करने लगे। इतनी मुश्किलों के बाद आज अरविंद की इस कामयाबी से परिवार फूला नहीं समा रहा है।
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अरविंद बचपन से ही पढ़ाई में काफी तेज थे और इसकी वजह से उनके पिता ने उनके बेहतर शिक्षा दिलाने के लिए कड़ी मेहनत की। अरविंद की प्राथमिक शिक्षा मऊ के रामस्वरूप भारती इंटर कॉलेज से हुई और फिर इलाहाबाद से स्नातक करने के बाद वो सिविल सेवा की तैयारी में जुट गए। इसके बाद परिवार ने अरविंद को पढ़ाई के लिए दिल्ली भेज दिया था। 
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अरविंद के भाई ने बताया कि पहले अरविंद भी फल बेचते थे. उसके बाद हम लोगों ने उनको बाहर पढ़ने के लिए भेज दिया. साल 2019 में वह दिल्ली चले गए. मगर, कोरोना फैलने के बाद वापस घर आए और  दोबारा फल बेचने लगे थे। लॉकडाउन खत्म होने के बाद अरविंद तैयारी करने के लिए फिर से दिल्ली चले गए। आज अरविदं और पूरे परिवार की तपस्या का ही फल उन्हें मिला है।

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