Door To Hell : नर्क का दरवाजा काराकुम रेगिस्तान नाम के रेगिस्तान में जमीन में एक बड़ा छेद है। यह तुर्कमेनिस्तान की राजधानी अश्गाबात से करीब 260 किलोमीटर उत्तर में स्थित है। वैज्ञानिक और रेगिस्तान में घूमने आने वाले लोग काफी समय से इस छेद के बारे में सोच रहे थे। यह 100 फीट गहरा और 230 फीट चौड़ा है। इसे नरक का द्वार (Door To Hell) नाम इसलिए मिला क्योंकि इसके अंदर पिछले 40 सालों से आग जल रही है। ऐसा इसलिए है क्योंकि छेद के अंदर खतरनाक गैसें होती हैं जो आग को भड़काती रहती हैं।
जमीन पर एक गड्ढे़ में सुलग रही आग
क्रेटर नाम की एक बहुत गर्म जगह है जिसका तापमान 1000 डिग्री सेल्सियस है। इतनी गर्मी है कि केवल एक ही व्यक्ति वहां जा सका है। उसका नाम जॉर्ज कोरोनिस है और वह कनाडा (Door To Hell) का रहने वाला है। वह 2013 में एक समूह के सदस्य के रूप में वहां गए थे जो यह देखना चाहते थे कि क्या गर्म क्रेटर में कोई जीवित चीज़ जीवित रह सकती है। वे यह पता लगाना चाहते थे कि क्या ऐसे कोई छोटे रोगाणु हैं जो अत्यंत गर्म तापमान में भी जीवित रह सकते हैं। वे यह भी जानना चाहते थे कि क्रेटर (Door To Hell) के अंदर किस तरह की खतरनाक गैसें हैं।
एलियंस हो सकते हैं मौजूद
Context/Details:
The Darvaza gas crater, also known as the Door to Hell, is a natural gas field in Turkmenistan that collapsed into a cavern and has been burning since the 1980s.
The exact cause of its formation is uncertain, with some theories suggesting it was created in the… pic.twitter.com/qFWFI1eMYP
— BoreCure (@CureBore) December 11, 2023
जॉर्ज नाम के एक वैज्ञानिक ने एक इस ख़ास यात्रा की तैयारी में काफी समय बिताया। वह 17 मिनट के लिए इस स्थान पर गए और जब वापस आए तो उसने ऐसी बातें कहीं जिससे कुछ लोगों को लगा कि एलियंस (Door To Hell) वास्तव में मौजूद हो सकते हैं। उन्हें वहां जमीन में छोटी-छोटी जीवित बैक्टीरिया मिलें जो असल में गर्म तापमान में जीवित रह सकते हैं। इससे वैज्ञानिकों (Door To Hell) को लगता है कि सूर्य के पास अन्य ग्रहों पर भी एलियंस हो सकते हैं, जहां बहुत गर्मी है और खतरनाक गैसें हैं।
बताया अपना आग में उतरने का एक्सपीरियंस
जॉर्ज कहते हैं- वो 17 मिनट मेरे दिमाग में बहुत गहराई से बस चुके हैं। ये बहुत डरावना और मेरी सोच से कई गुना बड़ा और गहरा (Door To Hell) था। जॉर्ज एक गहरे गड्ढे के नीचे तक गया और वहां से कुछ मिट्टी, राख और गैस एकत्र की। वह हमें बताता है कि जब वह नीचे जा रहा था, तो उसे चिंता थी कि उसका सूट उसे सुरक्षित रखेगा या नहीं। उसे यह भी हैरानी हुई कि क्या जो रस्सियाँ उसे पकड़े हुए थीं वे टूट जाएँगी।
आग जलने के पीछे है बहुत रोचक कहानियां
यहां आग लगने को लेकर बहुत सी अलग-अलग कहानियां (Door To Hell) मौजूद है। बहुत पहले, 1971 में सोवियत संघ के वैज्ञानिकों ने यहां ड्रिलिंग की थी। लेकिन जब जहरीली गैस निकलने लगी, इसलिए उन्हें इसे रोकने के लिए जल्दी से कुछ करना पड़ा। यह सुनिश्चित (Door To Hell) करने के लिए कि गैस बाहर न निकले, उन्होंने इसे आग लगाने का फैसला लिया। तब से आग लगातार सुलग रही है। ये तस्वीरें और जानकारी X हैंडल @CureBore से शेयर की गई, जिसे अभी तक 20 लाख व्यूज और छह हजार से ज्यादा लाइक्स मिल चुके हैं।
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