समय के साथ सब बदल गया लेकिन लोग बदलते समय के साथ अपने पुराने दिनों को खूब याद करते है। पुराना समाया सच में कितना अच्छा होता था सब कोई आज कल उन दिनों को ही याद करते है। घर के बड़े लोगो से पूछो तो वो अपने युवा दिनों का बखान करने से नहीं थकते है। आज जहां आपके अगर में पानी नलों से आता है वहीं यहीं पानी पुराने समय में कुआं और नलकूप यानी हैडपम्प से आया करता था। कुंए के पानी को काफी अच्छा भी माना जाता था। परंतु समय के साथ कुआं तो लगभग समाप्त ही हो गया है।
शहर के ज्यादातर लोगों ने तो कुआं भी नहीं देखा होगा। कुआं त्रिकोण, चौकोर आदि शेप के भी तो हो सकते थे, लेकिन ये गोल ही क्यों इसके पीछे विज्ञान बताता जाता है।
दरसअल जब भी किसी तरल पदार्थ को किसी भी जगह पर रखा जाता है तो वो उसी का आकर ले लेता है। जैसे अगर आप पानी को बोतल में रख देते है तो उसी का शेप ले लेती है। अगर किसी तरल पदार्थ को चौकोर या अन्य किसी आकार में रखा जाता है तो उसके साइड पाए काफी ज्यादा दवाब पड़ता है।
ये दवाब कुंओ की उम्र का कर देता है जिस कारण सभी कुंओ का शेप गोल बनाया जाता है। गोल कुआं होने से साइड पर दवाब एक समान पड़ता है। जिससे सब चीज ठीक रहती है। हालांकि चौकोर आकार के कुएं भी आपने देखें होंगे, पर वो अधिक मजबूत नहीं होते हैं।
लेकिन उनकी लाइफ गोल कुएं से कम होती है गोल कुएं ज्यादा दिन तक चलते हैं। गोल कुएं की मिट्टी अधिक दिन तक धंसती नहीं है। गोल कुएं की अंदर की सतह पर प्रेशर हर तरफ समान होता है। कुआं का सबसे बड़ा फायदा ये होता है कि इस से पानी धरती के अंदर भी जाता है जिससे धरती के अंदर भूजल का स्तर भी बना रहता है।