क्या आपको पता हैं कहां हैं 'जहाज़ों का कब्रिस्तान', जहां दफ़न हैं 80 से ज्यादा जहाज जो बन गए है पत्थर के, देख दंग रह जाएंगे आप - Punjab Kesari
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क्या आपको पता हैं कहां हैं ‘जहाज़ों का कब्रिस्तान’, जहां दफ़न हैं 80 से ज्यादा जहाज जो बन गए है पत्थर के, देख दंग रह जाएंगे आप

जिसने जन्म लिया है वह मरेगा भी और यह जीवन का एक बड़ा और दर्दनाक सच है। हर

जिसने जन्म लिया है वह मरेगा भी और यह जीवन का एक बड़ा और दर्दनाक सच है। हर किसी को मरना है, चाहे वे लोग हों, जानवर हों, या पौधे हों। अंत सबका एक न एक दिन होना ही हैं। लेकिन क्या कभी ये सोचा हैं कि निर्जीव वस्तुएं प्रकृति के इस नियम का पालन करती हैं या नहीं लेकिन यह हैरान करने वाली बात इंग्लैंड में देखी जा सकती है।
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जहां एक जहाज के मरने के बाद उसे दफना दिया गया था। इस कारण से इस स्थान को जहाज का कब्रिस्तान (Ship Graveyard) के नाम से भी जाना जाता है। आइये इसके पीछे के रहस्य से पर्दा उठाते हैं और आपको रूबरू कराते हैं इसकी हकीकत से। 
कहां हैं ये जहाजों का  कब्रिस्तान?
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ग्लॉस्टरशायर (Gloucestershire), इंग्लैंड (England) का पर्टन हल्क्स (Purton Hulks) सेवर्न नदी के करीब है। ऐसा माना जाता है कि जहाजों का  कब्रिस्तान (Purton Ships Graveyard) यहीं है। कारण यह है कि यहां अनगिनत जहाज हैं जो लाशों की तरह पड़े हुए हैं। जहाजों की भारी संख्या के कारण यह स्थान मुर्दाघर जैसा प्रतीत होगा। लेकिन आपको सोच में डालने वाली बात ये कि इस स्थान पर हर जहाज पत्थर में बदल गया है। आइए आज आपको बताते हैं ऐसा क्या हुआ था जिसकी वजह से यहां जहाजों का ये हाल हैं। 
बाढ़ से बचने के लिए अपनाई ये नई तरकीब 
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सेवर्न नदी के एक खतरनाक हिस्से को पार करने के लिए, शार्पनेस और ग्लोसेस्टर दो शहरों के बीच लगभग 200 साल पहले एक नहर का निर्माण किया गया था। 1827 में इस नहर की चौड़ाई लगभग 26 मीटर थी। लगभग 600 टन वजनी जहाज इसमें समा सकता था क्योंकि यह 5.5 मीटर गहरा था। एक रिपोर्ट के अनुसार, यह सवर्न नदी के बहुत करीब था। पर्टन में नहर और नदी के बीच की दूरी कभी लगभग 50 मीटर थी। हालाँकि नदी में बाढ़ आने पर यह दूरी नाटकीय रूप से कम हो गई। यह 1909 में नदी में पूरी तरह बह गया था। नहर निर्माण कंपनी के चीफ इंजीनियर ए जे कुलिस  इस मुद्दे का समाधान लेकर आए। नहर और नदी के बीच भूमि के छोटे से क्षेत्र को बाढ़ से बचाने के लिए, उन्होंने नदी के किनारों पर पुराने जलयान रखने की योजना प्लान की। जहाज रखने से बाढ़ का पानी जमीन तक नहीं पहुंचेगा, जिससे जहाज सुरक्षित रहेगा।
पत्थर की आखिर क्यों हो गई शिप्स?
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कई पुराने जहाजों को शार्पनेस डॉक से मंगवाया गया और नदी के बगल में तैनात किया गया ताकि पानी जमीन पर न आए। जहाज में छेद करने से बाढ़ का पानी अपने साथ लाई गई मिट्टी को अंदर जमा कर लेता था, जिससे जहाज भारी हो जाता था और पानी के बहाव के साथ भी फिसलने से बच जाता था। जैसा चाहा हुआ भी वैसा ही, लेकिन जहाज के अंदर मिट्टी जम जाने के कारण वह सख्त हो गया था। ये जहाज़ 60 वर्षों से वहाँ हैं, और अब जब मिट्टी जम गई है, तो वे पत्थर की तरह ठोस हो गए हैं। सवर्न नदी के किनारों को जहाज़ों के कब्रिस्तान में बदल दिया गया है, इस समय वहां लगभग 80 जहाज़ मौजूद हैं। लगभग सभी जहाज द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान बनाए गए थे।

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