13 सितंबर यानि आज से पितृपक्ष शुरू होने जा रहा है जो कि 28 सितंबर तक चलेंगे। पितरों की शांति व श्राद्घ के लिए पितृपक्ष यानि श्राद्घ पक्ष का काफी ज्यादा महत्व माना जाता है। मान्यता है कि इन दिनों सभी पितृ धरती पर किसी ना किसी रूप में आते हैं।
इस दौरान अपने पूर्वजों के प्रति श्रद्घा प्रकट करी जाती है। जिसे हम श्राद्घ कहते हैं। धार्मिक ग्रंथो के मुताबिक पारिवारिक कलयाण और पितरों कि आत्मशांति के लिए पितृ पक्ष में श्राद्घ कर्म करना चाहिए। बता दें कि विधि-विधान से श्राद्घ करने से पितृ आशीर्वाद देते हैं।
पितृपक्ष में श्राद्घ करने के अलावा दान-पुण्य करना भी शुभ माना जाता है। इन दिनों गाय और कौओ को भोजन करना बहुत अच्छा माना जाता है। साथ ही जातकों को इसके शुभ परिणाम भी मिलते हैं। श्राद्घ का बहुत महत्व माना जाता है लेकिन इसे हर कोई व्यक्ति नहीं कर सकता है। क्योंकि श्राद्घ करने के कुछ नियम हैं। तो चालिए आपको बताते हैं कौन कर सकता है श्राद्घ।
1.नियमों के मुताबिक श्राद्घ वही पुरुष कर सकता है जिसका यज्ञोपवीत संस्कार हुआ हो,तो यज्ञोपवीत नहीं पहनता वो इंसान श्राद्घ नहीं कर सकता है।
2.ऐसा कहा जाता है कि पिता का श्राद्घ कर्म पुत्र के हाथों किया जाना शुभ होता है। जिसका पुत्र नहीं है तो उनका श्राद्घ पत्नी द्वारा भी करवाया जा सकता है। अगर कोई भी नहीं है तो श्राद्घ भाई भी कर सकता है।
3.जिन लोगों का एक या एक से ज्यादा बेटे हैं नियम अनुसार उनका बड़ा बेटा श्राद्घ करेगा। किसी वजह से बेटा नहीं है तो श्राद्घ कर्म पौत्र या प्रपौत्र भी कर सकता है।
पितृदोषों से निजात पाने के उपाय
-पितृ पक्ष में 16 दिनों तक शिवलिंग पर जल में दूध मिलकर चढ़ाए।
-श्राद्घ पक्ष में 16 या 21 मोर पंख घर में अवश्य रखें। इससे लाभ होगा।
-पितृ पक्ष के दौरान रोजाना पीपल के पेड़ पर कच्चे दूध के साथ जल मिलाकर चढ़ाना चाहिए।
-जब तक पितृपक्ष चल रहें हैं घर में रोज गीता का पाठ करना चाहिए।
-16 दिनों तक रोज शाम के समय में पानी वाला नारियल अपने ऊपर से 7 बार उतार लें। अब इसे तेज बाहाव वाले जल में प्रवाहित कर दें एंव पितरों से आशीर्वाद का निवेदन करें।