हनुमान चालीसा पढ़ते समय न करें ये गलतियां, महिलाएं रखें इस बात का ध्यान - Punjab Kesari
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हनुमान चालीसा पढ़ते समय न करें ये गलतियां, महिलाएं रखें इस बात का ध्यान

हिंदू धर्म में कई देवी देवताओं की आराधना की जाती है। भगवान हनुमान की पूजा का भी हिंदू

हिंदू धर्म में कई देवी देवताओं की आराधना की जाती है। भगवान हनुमान की पूजा का भी हिंदू धर्म में खास महत्‍व है। मंगलवार के दिन हनुमान जी की आराधना की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि जो व्यक्ति हनुमान चालीसा का पाठ करता है उसके ऊपर सदा हनुमान जी की कृपा बनी रहती है और हनुमान जी उसकी हर मनोकामना को पूरा करते हैं। साथ ही उसके आस-पास भूत-पिशाच और दूसरी नकारात्मक शक्तियां नहीं भटकती हैं। लेकिन हनुमान चालीसा का पाठ करने से पहले कुछ नियमों को पालन होना जरूरी होता है।
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आइए जानते हैं कि हनुमान चालीसा पढ़ते समय किन नियमों का पालन करना चाहिए।
मंगलवार के दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा स्थान पर भगवान हनुमान जी की मूर्ति स्थापित करें।मूर्ति नहीं है तो मन में भगवान का स्मरण करें।
हनुमानजी को सिंदूर का टीका जरूर लगाएं और उनके चरणों से टीका उठाकर स्वयं के माथे पर लगाएं।
इसके बाद भगवान राम और माता सीता का हाथ जोड़कर मन ही मन ध्यान करें।
अब बजरंगबली को नमस्कार करने के बाद हनुमान चालीसापाठ का संकल्प लें।
इसके बाद हनुमान जी को पुष्प चढ़ाएं और उनके समक्ष धूप, दीप जलाएं।आसन पर बैठ कर हनुमान चालीसा का पाठ शुरु करें।
जब आप हनुमान चालीसा का पाठ पूरा कर चुके हों तो उसके बाद भगवान राम का स्मरण और भजन जरूर करें। भगवान को भोग लगाएं।
ना करें ये गलतियां
हनुमान चालीसा का पाठ शुरू करने के लिए हमेशा मंगलवार या शनिवार का दिन ही चुनें। सभी तरह के पूजा-अनुष्‍ठान की तरह हनुमान चालीसा का पाठ भी स्नान करके और साफ कपड़े पहनकर करना चाहिए। यह पाठ करते समय कभी सीधे जमीन पर न बैठें, बल्कि आसन का उपयोग करें।
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महिलाएं रखें ध्यान
महिलाओं को हनुमान जी को छूना मना होता है क्‍योंकि वह ब्रह्मचारी थे। इसलिए महिलाएं न तो हनुमान जी को वस्‍त्र चढ़ा सकती हैं और न ही वे जल से हनुमान जी को स्‍नाना करा सकती हैं। मगर बिना जल चढ़ाए कोई भी पूजा अधूरी मानी जाती हैं इसलिए महिलाओं को हनुमान चालीसा का पाठ करने से पहले अपने सामने एक कलश में पानी भर कर रख लेना चाहिए और चालीसा पढ़ने के बाद उस जल को प्रसाद के रूप में ग्रहण कर लेना चाहिए।

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