अहोई अष्टमी के दिन महिलाएं अपनी संतान की दीर्घायु और सुख-संपन्नता के लिए निर्जला उपवास रखती हैं। इस दिन अहोई माता के साथ सेई और सेई के बच्चों की पूजा की जाती है। पर इस दिन कुछ काम होते है जो व्रत रखनो वाली महिलाओं को नहीं करने चाहिए।हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि अहोई अष्टमी का व्रत रखा जाता है।अहोई अष्टमी का व्रत संतान सुख, उसके उत्तम स्वास्थ और अच्छे भविष्य के लिए आज किया जाएगा। इस व्रत में कुछ नियमों का पालन करना अति आवश्यक है नहीं तो संतान पर इसका अशुभ असर पड़ता है।
1. खुदाई करने से बचें- पौराणिक कथा के अनुसार अहोई अष्टमी पर खुदाई के दौरान की साहूकार की पत्नी के हाथों सेह के बच्चों की मृत्यु हो गई थी, परिणाम स्वरूप साहूकार के 7 पुत्रों का भी देहांत हो गया, इसलिए इस दिन मिट्टी से जुड़े काम जैसे किसानी, खुदाई नहीं करना चाहिए।
2. काले रंग के कपड़े- अहोई अष्टमी के दिन व्रत रखने वाली औरतों को काले, नीले या डार्क कलर के कपड़े नहीं पहनने चाहिए।भगवान गणेश का नाम लिए बगैर इसकी पूजा का शुरू न करें।
3. कांसे के लोटे का प्रयोग न करें- हैं कि अहोई पर तारों की छांव में अर्घ्य देने के लिए कांसे के लोटे का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।स्टील या पीतल के कलश का उपयोग कर सकते हैं।
4. तामसिक भोजन – जो महिलाएं संतान के लिए ये व्रत करती हैं उनके घर के सदस्यों को भी इस दिन तामसिक भोजन नहीं करना चाहिए। भोजन में प्याज, लहसून का इस्तेमाल न करें नहीं तो व्रत व्यर्थ चला जाएगा।