'शंकर' की दुल्हनिया का स्वागत करेगा दिल्ली का चिड़ियाघर, विदेशों में भी चल रही है बातचीत - Punjab Kesari
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‘शंकर’ की दुल्हनिया का स्वागत करेगा दिल्ली का चिड़ियाघर, विदेशों में भी चल रही है बातचीत

दिल्ली में मौजूद चिड़ियाघर में अब ढ़ोल नगाड़े बजने और शहनाई गूंजने की तैयारियां शुरू हो गयी हैं।

दिल्ली में मौजूद चिड़ियाघर में अब ढ़ोल नगाड़े बजने और शहनाई गूंजने की तैयारियां शुरू हो गयी हैं। यहाँ पर 27 वर्षीय शंकर नाम के अफ्रीकन हाथी की दुल्हन को ढूंढा जा रहा हैं। शंकर की दुल्हन के लिए सिर्फ देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी रिश्ते भेजे जा रहें हैं। यहाँ तक कि US एम्बेसी में भी इस रिश्ते को लेकर बातचीत की गई हैं। जानकारी दें कि शंकर 2001 तक अपनी पार्टनर के साथ रहता था। बता दें कि शंकर को 1998 में दिल्ली के चिडियाघर लाया गया  था। 
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क्या हैं आखिर शंकर की कहानी 
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एक बीमारी के चलते शंकर के पार्टनर का निधन हो गया था। उसी समय से शंकर अपने नए पार्टनर की तलाश में हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए चिड़ियाघर प्रशासन ने भी अपनी रफ़्तार पकड़ ली हैं और शंकर की दुल्हन को लाने की खोज में लग गए हैं। जिसके लिए अन्य बहुत से चिड़ियाघरों में बातचीत कर संपर्क किया गया हैं। इतना ही नहीं बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी इसके लिए खोज की जा रही हैं। इतना ही नहीं बल्कि दिल्ली चिड़ियाघर कि डायरेक्टर ने खुद इस बात की जानकारी दी हैं कि शंकर 2001 तक अपने पार्टनर के साथ रहता था लेकिन बीमारी के चलते उसका निधन होगया और तब से शंकर अकेला हैं। 
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी ली गई हैं मदद 
जैसा कि पता चला हैं कि शंकर के लिए दुल्हन अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी ढूंढी गयी हैं और कुछ अफ्रीकन मूल की हथनियाँ मिली भी लेकिन उम्र में कम होने कारण शंकर की पार्टनर नहीं बन पायी हैं। शंकर के पार्टनर बनने के लिए कम से कम 20 से 22 साल की उम्र निर्धारित की गई हैं। शंकर  की दुल्हन को ढूंढ़ने के लिए सब जगह से मदद ली जा रही हैं यह तक कि सेंट्रल पॉलिसी ऑफ जू ने यह तक कह दिया हैं कि कोई भी जानवर अकेले नहीं रखा जाता हैं। उन्हें जोड़े में ही रखा जाता हैं। 
पार्टनर के निधन के बाद बाकि हथनियों से नहीं हुई दोस्ती 
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चिड़ियाघर डायरेक्टर का कहना हैं कि शंकर की पार्टनर का निधन हो जाने के बाद से उसी एशियाई हाथियों क साथ शिफ्ट किया गया लेकिन जैसा कि शंकर एक अफ्रीकन हाथी हैं तो वह एशियाई हाथियों के साथ नहीं रह पाया। शंकर का अफ्रीकन हाथी होने ही एक कारण हैं जिसकी वजह से वह एशियाई हाथियों से कद काठी और डाइट में भी अलग हैं। उन्होंने ये भी कहा कि जब शंकर को दूसरे हाथियों के साथ रखा गया तो उसने कई बार गुस्सा वाला व्यव्हार किया और आपस में लड़ाई झगड़ा भी होने लगा।

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