लोक आस्था का महापर्व छठ इस साल 28 अक्टूबर से शुरु हो चुका है।हर साल यह पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को मनाया जाता है।इसमें सूर्य देवता और छठी माता की पूजा होती है। छठ पूजा का पहला दिन नहाय खाय का होता है। छठ पूजा का व्रत संतान प्राप्ति और परिवार के सुख एवं समृद्धि के लिए रखा जाता है। जो लोग पहले से इस व्रत को रखते आ रहे हैं, वे इस व्रत के नियमों को जानते हैं।इस व्रत के नियम काफी कठिन हैं। जो लोग पहली बार छठ पूजा का व्रत रखने वाले हैं, उनको भी इस व्रत के नियमों को जानना चाहिए। नियमपूर्वक व्रत करने से ही फल की प्राप्ति होती है।
छठ पूजा के नियम
1. छठ पूजा का व्रत भगवान सूर्य और छठी मइया का है, इसलिए प्रतिदिन सूर्य आराधना करना तथा छठी मइया का स्मरण करना आवश्यक है।
2. छठ पूजा का व्रत सबसे कठिन होता है क्योंकि यह निर्जला और निराहार रखा जाता है।
3. नहाय खाय से छठ पूजा का प्रारंभ होता है, इसमें सात्विक भोजन करने का विधान है।लहसुन प्याज वाला भोजन करने से व्रत असफल होता है। उस व्रत का फल प्राप्त नहीं होगा। सूर्य देव और छठी मइया भी प्रसन्न नहीं होंगे।
4. छठ पूजा के व्रत में आप जो भी नमक वाला भोजन या पकवान बनाते हैं, उसमें सेंधा नमक का उपयोग होता है।साधारण नमक का उपयोग वर्जित है।
5. छठ पूजा में प्रसाद रखने के लिए बांसी की नई टोकरी का उपयोग होता है. इसमें पुरानी टोकरी का उपयोग न करें। ऐसे ही पूजा के समय सूप या थाल का प्रयोग होता है, वह भी नया ही होना चाहिए।
6. जो व्रत रखता है, उसे बिस्तर पर सोना वर्जित होता है। वह जमीन पर चटाई बिछाकर सो सकता है।
मान्यता है कि छठी माता की पूजा करने से धन-धान्य की प्राप्ती होती है और संतानों की रक्षा करती हैं।जो दंपत्ती अपने जीवन में संतान सुख की प्राप्ती चाहते हैं, उनके लिए छठ पूजा अत्यंत आवश्य मानी गई है।