आज 16 अगस्त को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने चंद्रयान-3 की कक्षा में कुल चार बार बदलाव किया। इसका मतलब हैं कि चौथी बार चंद्रयान-3 ने अपनी ऑर्बिट को बदला हैं। अंतरिक्ष यान अब चंद्रमा के चारों ओर 153 किमी X 163 किमी की निकट-वृत्ताकार कक्षा में प्रवेश कर चुका है। इसके लिए इसरो के शोधकर्ताओं (वैज्ञानिकों ) ने सुबह करीब आठ बजे कुछ देर के लिए यान के थ्रस्टर चलाए। आपको याद दिला दें कि चंद्रयान पहले 150 किमी X 177 किमी की कक्षा यानि कि ऑर्बिट में था।
इसरो के द्वारा किए गए एक ट्वीट के मुताबिक 17 अगस्त को चंद्रयान-3 के लिए बेहद ख़ास और महत्वपूर्ण दिन होगा। इस दिन चंद्रयान-3 का प्रोपल्शन मॉड्यूल लैंडर से अलग हो जाएगा। इसके बाद चंद्रमा की सतह वहीं होगी जहां इसे उतारा जाएगा। चंद्रयान-3 लैंडर, रोवर और प्रोपल्शन मॉड्यूल से लैस है। लैंडर और रोवर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव को छूएंगे और वहां 14 दिनों तक रिसर्च करेंगे।
क्या था इसरो के ट्वीट में
इसरो ने एक ट्वीट में कहा, ‘आज की सफल फायरिंग, जो थोड़े समय के लिए आवश्यक थी, ने चंद्रयान-3 को 153 किमी गुणा 163 किमी की अपनी इच्छित कक्षा में स्थापित कर दिया है।’ चंद्रयान युद्धाभ्यास अब समाप्त हो चुका है। जैसे ही प्रोपल्शन मॉड्यूल और लैंडर मॉड्यूल अपनी व्यक्तिगत यात्राओं के लिए तैयार हो जाते हैं, तैयारी का समय आ गया है। 17 अगस्त 2023 को लैंडर मॉड्यूल प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग हो जाएगा.
भारत को मिलेगी बड़ी सफलता
ध्यान देने वाली बात है कि प्रोपल्शन मॉड्यूल पृथ्वी से आने वाले विकिरणों पर शोध करते हुए चंद्रमा की परिक्रमा करता रहेगा। चांद पर लैंडर और रोवर से पानी की तलाश की जाएगी. आपको बता दें कि 5 अगस्त को शाम लगभग 7:15 बजे चंद्रयान-3 पृथ्वी की 22 दिनों की परिक्रमा के बाद चंद्रमा की कक्षा में पहुंचा। अगले दिनों – 6, 9 और 14 अगस्त को – इसकी कक्षा छोटी कर दी गई। चंद्रयान-3 चंद्रमा की सतह को छूएगा, जिससे भारत ऐसा करने वाला चौथा देश बन जाएगा।