उत्तर भारत में ठंड का प्रकोप अब अपने चरम पर पहुंच गया है। लोग इस कड़ाके की ठंड से राहत पाने के लिए हीटर का उपयोग करते हैं। वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में इस कड़ाके की ठंड से बचने के लिए कोयले की अंगीठी जलाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं यह तरीका भी खतरनाक होता है। बहुत सावधानी कोयले की अंगीठी को जलाने में बरतनी होती है। अगर सावधानी नहीं बरती तो यह जानलेवा हो सकती है।
कई लोगों को लगता है कि हीटर ठंड के मौसम में सेफ होता है लेकिन यह सोच भी आपकी बिल्कुल गलत है। जिस तरह से कोयले की अंगीठी जानलेवा होती है उसी तरह से हीटर या ब्लोअर भी होते हैं। इसलिए कुछ खास बातें होती हैं जिनका ध्यान आपको कोयले की अंगीठी जलाते या हीटर के समय याद रखें की जरूर है।
खतरनाक क्यों होता है हीटर या कोयला घर में जलना
कॉर्बन मोनो ऑक्साइड गैस अंगीठी में कोयला या लकड़ी जलाते समय निकलती है। इसे बाहर यानी खुले में जलाया जाता है तो नुकसान नहीं होता है। क्योंकि प्रर्याप्त ऑक्सिजन बाहर मौजूद होती है। लेकिर इसे घर के अंदर बंद कमरे में जलाते हैं तो वहां पर ऑक्सिजन कम होती है जिसकी वजह से कॉर्बन मोनो ऑक्साइड गैस का स्तर बढ़ जाता है।
ब्रेन पर सीधे असर कॉर्बन का होता है और यह पूरे शरीर में सांस के जरिए फैल जाती है। इंसान इससे अचानक बेहोश हो जाता है और उसकी मौत दमघुटने की वजह से हो जाती है।
खतरनाक होता है हीटर और ब्लोअर भी
बंद कमरे में केवल कोयला ही नहीं ब्लोअर और हीटर भी जलाना जानलेवा होता है। ब्लोअर या हीटर काफी लंबे समय तक बंद कमरे में जलाने से कमरे का तापमान बढ़ जाता है जिसकी वजह से कमरे में नमी की कमी हो जाती है और ऑक्सिजन भी कम होने लगता है। जिस वजह से सांस लेने में दिक्कत की परेशानी हो जाती है।
ये सावधानी जरूर बरतें हीटर या कोयला जलाते समय
बंद कमरे में भूल से भी अंगीठी न जलाएं। अगर अंगीठी कमरे में जलाते हैं तो खिड़की या दरवाजे को थोड़ा सा खोल कर रखें। ऐसा इसलिए क्योंकि कमरे में ऑक्सिजन की कमी नहीं होगी।
वेंटिलेशन का जरूर ध्यान रखें घर में हीटर या ब्लोअर जलाते समय। खिड़की या दरवाजे को ऑक्सिजन के लिए खुला रखें।
लकड़ी को बंद कमरे में जलाकर कभी न सोएं। ऐसा करने से दम घुट सकता है और जान भी जा सकती है।
अगर आप बंद कमरे में हीटर या ब्लोअर जला रहे हैं तो एक बाल्टी पानी भरकर कमरे के एक कोने में जरूर रख लें।
कमरे को कभी भी अंगीठी या हीटर जलाने के समय पूरी तरह से बंद न करें। ऑक्सिजन बंद कमरे में कम होती है जिसकी वजह से जान जा सकती है।