ब्रज का होली उत्सव 40 दिनों तक चलने वाला विशेष उत्सव है। इन दिनों कई तरह की होली खेलने का रिवाज है जो श्री कृष्ण की लीलाओं की कहानियों को दर्शाता है। यहां पर ब्रज में मनाई जाने वासी 6 तरह की होली के बारे में बताया गया है
लड्डू मार होली
पौराणिक कथाओं के अनुसार, यह परंपरा तब शुरू हुई जब श्री कृष्ण राधारानी और गोपियों के साथ होली खेलने के लिए बरसाना गए थे। लेकिन रंगों के बजाय, गोपियों ने कृष्ण को लड्डू और मिठाइयों की बरसात कर दी
लट्ठमार होली
लोककथाओं की माने तो लट्ठमार होली तब शुरू हुई जब भगवान कृष्ण और उनके दोस्त राधारानी और गोपियों के साथ होली खेलने के लिए बरसाना आए थे। तब वहां की महिलाओं ने उन्हें लाठियां मारकर भगा दिया, जिससे यह परंपरा शुरू हुई
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फूलों वाली होली
फूलों की होली वृंदावन और उसके आस-पास के गांवों में मनाया जाता है। कहा जाता है कि जब श्री कृष्ण राधारानी और गोपियों ने उन पर रंग डाले तो वो नाराज़ हो गए थे। उन्हें खुश करने के लिए, उन्होंने एक पेड़ को फूलों से सजाया और उनकी आरती की
दाऊजी का हुरंगा
दाऊजी का हुरंगा बलदेव गांव में मनाया जाने वाला त्यौहार है। पौराणिक कथा के अनुसार, कृष्ण ने महिला का वेश धारण कर यमुना नदी में स्नान कर रही अपनी सखियों के कपड़े चुरा लिए। फिर महिलाओं ने उनके कपड़े चुराकर बदला लिया
विधवा होली
वृंदावन की विधवा होली सामाजिक मानदंडों को तोड़ती है और विधवाओं को सशक्त बनाती है
भारत के अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग तरीकों से मनाई जाती है होली