आज कल के मॉडर्न ज़माने में आपने बहुत सी शादियां देखी होगी और सुनी भी होंगी। किस तरह दूल्हे अपनी बारात लेकर अलग अलग अंदाज़ में अपनी दुल्हन को लेने पहुंचते हैं। कोई ब्रांडेड गाड़ियों में सवार हो कर आता हैं तो कोई हेलीकॉप्टर से अपनी दुल्हन के पास पहुँचता हैं। लेकिन आज के ज़माने में कांकेर जिले के कोईलाबेडा करकापाल में एक ऐसे बारात निकली जिसे देख सब हैरान हो गए हैं और पहली बार दुल्हन की जगह दूल्हे पर से लोगों की नज़रे नहीं हट रही थी।
दुल्हन के बदले दूल्हे को निहारने लगे लोग
दूल्हा आभूषणों से सज कर सुन्दर से कमीज, धोती और पारम्परिक वेशभूषा में बैलगाड़ी पर बैठ कर जब निकला तो लोगों ने बढ़ चढ़ कर दूल्हे की तारीफ़ की। जानकारी के अनुसार दूल्हे बने शंभुनाथ सलाम बड़गांव सर्कल के क्षेत्रीय गोंडवाना समाज के अध्यक्ष हैं। सूत्रों के अनुसार शाम 4 बजे करकापाल पहुंची बारात दिन में करीब 1 बजे पिपली से निकली थी। इस दौरान लोग अपने घर की खिड़की दरवाज़े और बालकनियों में आकर इस बारात को देखने लगे और देखते ही देखते लोगों की सेल्फी लेने और फोटो खिंचवाने के लिए भीड़ लग गयी।
आखिर क्या हैं ऐसे बारात ले जाने का कारण
आज के नए ज़माने में ऐसी एक बारात को देखकर जिसमे दूल्हा किसी महंगी लक्ज़री गाडी के बजाय बैलगाड़ी पर जा रहा था। वहां के बुजुर्गो ने अपने समय को याद किया और अपनी रीति रिवाज़ो को देख कर आनंद उठाया। ऐसी परंपरा को देख कर लोगों के चेहरे खिलखिला उठे थे। आमतौर पर होने वाली डेस्टिनेशन वेडिंग और खर्चीली शादियों के लिए ये छत्तीसगढ़ी परंपरा की शादी एक मिसाल साबित होगी। ये कदम उठाने के पीछे का कारण हैं, अपनी छत्तीसगढ़ी परंपरा, संस्कृति और रीति रिवाज़ों को बचाये रखना है। इस एक कोशिश के दौरान यहां पर सारे समाज के पदाधिकारी भी शामिल थे।
परंपरा और संस्कृति का किया गया बचाव
इस बारात के लिए बैलगाड़ी देने वाले किसानों ने बताया कि आज वो बहुत खुश है क्योंकि उनका मानना हैं कि उनके बैलगाड़ी सिर्फ खेतों में खेती करने के बजाय छत्तीसगढ़ की संस्कृति के फिर से उत्थान में काम आई हैं। इस सादगी भरी साधारण परंपरा और रीती रिवाज़ों की ये शादी लोगों को अपनी संस्कृति की और लौटने में फिर से मदद करेगी और साथ ही यह उन लोगों के लिए मिसाल बनेगी जो शादी में फ़िज़ूलखर्ची करते हैं।