इस दुनिया में एक बात तो सच है आज न कल सभी को इस दुनिया को छोड़ कर जाना है। आज के समय में कब किसी की मौत आ जाए कुछ कहा नहीं जा सकता है, ऐसे कुछ खबर हाल ही के दिनों में सामने आए है जहां लोग डांस करते-करते या कुछ काम करते मर गए है। अब किसी की जिंदगी का कुछ भरोसा नहीं है। मौत अचानक हो तो शख्स को कुछ भी सोचने आदि का मौका नहीं मिलता है, लेकिन जब यहीं उम्र के उस दौर में आता है जब हमे लगभग पता रहता है की अब हम सिर्फ कुछ दिनों के ही मेहमान है।
बुढ़पा एक ऐसी अवस्था होती है जब लोग अपने दिनों को याद करते है और यही समय होता है पछतावे का हां पछतावा बुढ़ापे में ही शुरू होता है। हर किसी को बुढ़ापे में ही अपने पुरे जीवन के सही, गलत कामों को याद करने का मौका मिलता है। लगभग सभी को आने बुढ़ापे के दिनों में किसी न किसी बात पर पछतावा रहता ही है खासकर इन 5 पॉइंट्स पर, जो सभी को सोचने पर मजबूर कर देते है।
हाल ही में एक ऑस्ट्रेलियाई नर्स ब्रोनिवेयर ने इस ने इस बात पर रिसर्च की कि किसी को अपने बुढ़ापे में क्या सोचते है। ब्रोनिवेयर ने अपने ब्लॉग पर लिखा है कि कई लोग विशेष रूप से पांच टॉपिक में गंभीर पछतावे के साथ मरते हैं। ऑस्ट्रेलियाई नर्स ब्रॉनी वेयर जिन्होंने 12 सप्ताह तक गंभीर रूप से बीमार रोगियों की देखभाल की। उस समय उन्होंने अपने ब्लॉग जिनका नाम ‘प्रेरणा और चाय’ था।
उसमे उन्होंने अपनी भावनाओं को लिखा था। उसके बाद उन्हें ‘द टॉप फाइव रिग्रेट्स ऑफ द डाइंग’ नामक पुस्तक के रूप में सबके सामने लाया गया। वो पांच क्या है आए जानते है। सबसे पहला कि मैं दूसरों से कुछ भी उम्मीद किए बिना अपना जीवन बहादुरी से जीना चाहता था। दूसरा मुझे लगता है कि मैंने काफी मेहनत नहीं की।
तीसरा मुझे लगता है कि मुझे अपनी भावनाओं को बहादुरी से व्यक्त करना चाहिए था। चौथा मैं दोस्तों के करीब रहना चाहता था। पांचवा मैं खुश रहना चाहता था। ब्लॉग में ब्रोनी वेयर के लेखन के अनुसार ऐसा लगता है कि बहुत से लोगों ने विशेष रूप से इन मामलों में पश्चाताप किया है।