कामाख्या मंदिर भारत का एक दुर्लभ शक्तिपीठ है। यह शक्ति उपासना की एक बेहद शक्तिशाली जगह है। अतीत में कई महिलाओं और पुरुषों ने जन्म और मौत के बंधन की मांग करते हुए इस प्राचीन मंदिर में दिव्य मां की कृपा मांगी है। यह मंदिर असम के कामरूप जिले के गुवाहाटी शहर में नीचालंच पर्वत पर स्थित है।
यह मंदिर शक्ति की देवी सती का मंदिर है। यह मंदिर कामागिरी पहाड़ी पर बना हुआ है और इस मंदिर का तांत्रिक महत्व भी है। बता दें कि यह तीर्थ स्थान इसलिए जरूरी है क्योंकि यहीं पर भगवान शिव जी की पत्नी देवी सती का गुप्तांग गिरा था। उनके शव को पचास से ज्यादा टुकड़ों में काट दिया गया था क्योंकि ऐसा करने से ही भगवान विष्णु के ह्दय को शांत किया गया था। इसके बाद इस जगह पर भगवान शिव ने एक शक्ति मंदिर का निर्माण किया। यहां पर भगवान भैरव का मंदिर भी है। जो कामाख्या मंदिर के पास शिव का ही रूप है।
हर साल आने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या में बढ़ोतरी
कामाख्या मंदिर में आने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या में हर साल लगातार बढ़ोतरी होती रहती है। यानि कि इस चमत्कारी मंदिर तक पहुंचना एक परेशानी से मुक्त प्रयास है। लगभग सभी तांत्रिकों का ये पूज्य स्थान भी है। हर साल ये अद्भुत मंदिर करीब 3 दिन के लिए जरूर बंद होता है।
यहां पर देवी के 51शक्तिपीठ शामिल हैं। इस मंदिर की खास बात यह है कि इस मंदिर का महत्वपूर्ण हिस्सा जमीन से करीब 20 फीट नीचे एक गुफा में स्थित है। इस मंदिर में बलि चढ़ाने की भी प्रथा है। इसके लिए यहां पर मछली,बकरी,कबूतर और लौकी,सीताफल जैसे सब्जियों और फलों की भी बलि दी जाती है।
कैसे पहुंचे इस चमत्कारी मंदिर तक
मशहूर गोपीनाथ बोरदोलोई अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा कामाख्या मंदिर के सबसे पास हवाई अड्डा है। इस हवाई अड्डे से मंदिर करीब 20 किमी की दूरी पर है। ये हवाई अड्डा नई दिल्ली,कोलकाता,मुंबई,चेन्नई और बाकी कई सारे भारतीय शहरों से नियमित उड़ानों को जोड़ता है।