भारत के इस शहर में है एशिया का सबसे ज्यादा पढ़ा-लिखा गांव, खेती नहीं नौकरी पर निर्भर हैं यहां के लोग - Punjab Kesari
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भारत के इस शहर में है एशिया का सबसे ज्यादा पढ़ा-लिखा गांव, खेती नहीं नौकरी पर निर्भर हैं यहां के लोग

उत्तरप्रदेश के अलीगढ़ ज़िलें मे है ताला और तालीम के इस शहर मे धोर्रा माफ़ी के नाम से

दुनिया में जब भी कभी साक्षरता की बात होती है तो हमारे दिमाग में सबसे पहले बड़े-बड़े शहरों के स्कूल और उनमें पढ़ने वालों बच्चों का ख्याल आता है। लेकिन आज हम आपको उस गांव के बारे में बताने वाले है जिसकी गिनती एशिया के सबसे पढ़े-लिखे गांव में होती है। सबसे दिलचस्प बात ये है कि ये गांव और कहीं नहीं बल्कि भारत में ही है।
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जी हां आपने सही सुना, भारत में एक ऐसा गांव मौजूद है जिसे देश का ही नहीं बल्कि पूरे एशिया का सबसे पढ़ा लिखा गांव कहा जाता है। पूरे एशिया का सबसे ज्यादा पढ़ा-लिखा गांव भारत में है, इससे भी ज्यादा हैरानी वाली बात ये है कि गांव उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले के जवां ब्लॉक में है और इस गांव का नाम धोर्रा माफी है। इस गांव के 90 फीसदी लोग पढ़े लिखे हैं। 
इस गांव की आबादी लगभग 10 से 11 हजार है और यहां के 80 फीसदी घरों में से कोई ना कोई बतौर अधिकारी तैनात है। इस गांव के ज्यादातर लोग डॉक्टर, इंजीनियर, वैज्ञानिक, प्रोफेसर और आईएएस ऑफिसर की पद पर हैं। यहां के बच्चे भी बड़े होकर देश में बड़े-बड़े पदों पर नौकरी करने का सपना देखते हैं और यहां के लोग खेती पर नहीं बल्कि नौकरी पर निर्भर हैं।
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मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, धोर्रा माफी में आज से 5 साल पहले ही खेती बंद हो गई है। यहां के लोगों का मानना है कि खेती से ज्यादा वो नौकरी से पैसा कमा रहे हैं और यही वजह है कि वो बच्चों को भी शुरू से ही खेती से दूर कर देते हैं और पढ़ाई में मन लगाने को कहते हैं। यहां आपको सुबह-सुबह गांव की सड़कों के किनारे एक लाइन से कई बच्चे स्कूल जाते दिख जाएंगे।
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खास बात ये है कि साल 2002 में यहां की 75 फीसदी साक्षरता दर के लिए लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में इस गांव का नाम दर्ज किया गया था। इतना ही नहीं गांव का नाम गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड के लिए होने वाले सर्वे के लिए भी चुना गया था। साक्षरता के मामले में यहां की महिलाएं भी पुरुषों के समान ही हैं। धोर्रा माफी गांव अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से सटा हुआ है इसलिए वहां के प्रोफेसर और डॉक्टर्स ने गांव में अपना घर बनाया है।
बता दें कि धोर्रा माफी गांव में पक्के मकान, 24 घंटे बिजली-पानी और कई इंग्लिश मीडियम स्कूल व कॉलेज हैं। इस गांव के डॉ. सिराज आईएएस अधिकारी हैं। उनके अलावा गांव के फैज मुस्तफा एक यूनिवर्सिटी में वाइस चांसलर रह चुके हैं। इस गांव का एक बड़ा तबका विदेशों में रहकर काम कर रहा है और अपने गांव का नाम रौशन कर रहा है।

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