फिल्म दृश्यम की तर्ज पर मिटा दिए थे हत्या के सारे सबूत, कातिलों को पुलिस ने इस तरह ढूंढ निकाला - Punjab Kesari
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फिल्म दृश्यम की तर्ज पर मिटा दिए थे हत्या के सारे सबूत, कातिलों को पुलिस ने इस तरह ढूंढ निकाला

बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता अजय देवगन की फिल्म दृश्यम साल 2015 में आई थी। इस फिल्म में अजय

बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता अजय देवगन की फिल्म दृश्यम साल 2015 में आई थी। इस फिल्म में अजय देवगन की अदाकारी सबको पसंद आई थी। दृश्यम एक ड्रामा मिस्ट्री फिल्म थी। इस फिल्म में अजय देवगन ने एक खून कर दिया था लेकिन उसके सबूतों को उन्होंने इस तरह से मिटा दिए थे कि पुलिस भी सुराग तलाश करने में कामयाब साबित हो गई थी। जिसके बाद वह अजय देवगन को कभी हत्यारा साबित नहीं कर पाई थी। ऐसी ही कुछ कहानी असल जिंदगी में भी सामने आई है। दरअसल असल जिंदगी में इस फिल्म की कहानी की ही तरह एक जुर्म को अनजाम दिया गया है।

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29 अप्रैल 2016 का यह मामला है। लीना शर्मा नाम की एक महिला अमेरिका की कंपनी में काम करती थी उसी की हत्या इस फिल्म की कहानी की तरह की गई है। लीना शर्मा दिल्ली के वसंत बिहार इलाके में रहती थी और उसके नाना-नानी सोहागपुर के डंूडाडोह में रहते थे। दरअसल लीना के पैतृक जमीन उसके ननिहाल में थी उसी पर कोई विवाद चल रहा था। लीना उसी विवाद को सुलझाने के लिए सोहागुर आई थी।

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फिल्म दृश्यम की तरह जुर्म को दिया अनजाम

लेकिन यहां आने के बाद लीना शर्मा की हत्या कर दी गई। हत्या को देखने के बाद पुलिस को ऐसा लग रहा था कि लीना के हत्यारों ने फिल्म दृश्यम से प्रभावित होकर यह किया है। लीना के हत्यारे ने उसकी हत्या के बाद बहुत ही चालाकी से सारे सबूत हटा दिए थे। अजय देवगन ने हत्या करने के बाद जिस तरह से ट्रेन में सेलफोन फेंका था उसी तरह से लीना शर्मा के हत्यारों ने जबलपुर जा रही ट्रेन में फेंक दिया था। लेकिन कहावत तो आपने सुनी ही है रील लाइफ और रियल लाइफ में बहुत अंतर होता है। यही वजह है कि रियल लाइफ के ये हत्यारे पकड़े गए।

लीना शर्मा का मोबाइल उन लोगों ने इस ट्रेन में फेंका था वह इत्तिफाक से एक यात्री को मिल गया था। फिर क्या था उस शख्स ने फोन उठाया और उसमें से सिम कार्ड निकाल कर होशंगाबाद के पिपरिया के पास फेंक दी। उसके बाद पिपरिया के एक युवक को यह सिम 5 मई को मिली। उस युवक ने जैसे ही सिम कार्ड को दूसरे फोन में डाल कर चालू की तो लीना की दोस्त को उसके नंबर चालू होने का सिग्नल मिल गया। उसके बाद लीना की दोस्त समझ गई कि कुछ तो गड़बड़ जरूर है।

इस तरह पुलिस को मिले हत्या के सुराग

लीना के सिम कार्ड को पिपरिया का यह युवक दूसरे फोन में इस्तेमाल कर रहा था। वहीं से पुलिस को इस मामले में शक हुआ कि कुछ भी सही नहीं है। उसके बाद पुलिस ने लीना की हत्या में सर्विलांस का सहारा लिया। पुलिस को इस मामले में तब सबसे बड़ा सुराग मिला जब गांव के लोगों ने उन्हें बताया कि दुदेहा गांव में प्रदीप और उसके साथियों को लीना पर हमला करते हुए देखा गया था। उसके बाद क्या था पुलिस ने प्रदीप के साथी गोरे लाल और राजेंद्र को पूछताछ करने के लिए पकड़ लिया और उसके बाद उन्होंने पुलिस को सब कुछ बता दिया। प्रदीप उस समय सोहागपुर ब्लॉक का कांग्रेस प्रमुख था वह भोपाल भाग आया था। लेकिन भोपाल में ही प्रदीप को पुलिस ने पकड़ लिया था।

प्रदीप ने पुलिस को पूछताछ में बताया कि जमीन विवाद के चलते उन सबने लीना पर रॉड और पत्थरों से हमला किया था। जब उन्होंने लीना की हत्या कर दी थी तब वह लीना के शव को गांव से चार किलोमीटर की दूरी पर कमाती के जंगलों में फेंक दी थी। पुलिस ने बताया था कि लीना शर्मा की हत्या की प्लानिंग प्रदीप ने पहले ही कर ली थी। वहीं फोन को ट्रेन में फेंकने की भी पूरी प्लानिंग पहले से ही बना दी थी।

जमीन हड़पने के लिए की लीना की हत्या

इसके अलावा प्रदीप और उसके साथियों ने लीना की डेड बॉडी पर नमक डाला था जिससे हत्या के सारे सबूत मिटा दिए जाएं। पुलिस ने इस मामले में बताया कि लीना की 10 एकड़ जमीन पर प्रदीप ने उस समय अवैध तरीके से कब्जा करा हुआ था। अपनी जमीन पर लीना घेराबंदी कराना चाहती थी और वह इसी काम को कराने के लिए गांव में आई थी। लेकिन प्रदीप ने लीना को वहां जानबूझ कर उकसाया और उससे लड़ाई भी की और फिर उसकी हत्या कर दी।

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प्रदीप ने इस मामले में पुलिस को बरगलाने के लिए यह बता दिया था कि लीना गांव में उजले रंग की कार में आई थी। लेकिन लीना जहां सोहागपुर शहर में रहती थी वहां उसके एक पड़ोसी ने पुलिस को बताया कि 29 अप्रैल को लीना ऑटोरिक्शा में गांव गई थी। इस मामले के बाद यह भी पता चला कि प्रदीप को लीना चाचा कहती थी।

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